Uniform Civil Code Update : समान नागरिक संहिता पर बड़ा अपडेट..बहुत जल्द देश में होगा लागू , पेश होने वाली है 5 राज्यों की रिपोर्ट

Uniform Civil Code Latest News : अब केंद्र सरकार जल्द ही समान नागरिक संहिता लागू करने को लेकर कदम उठा सकती है।

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  • Publish Date - September 16, 2024 / 08:52 AM IST,
    Updated On - September 16, 2024 / 08:52 AM IST

नई दिल्ली। Uniform Civil Code Update : केंद्र सरकार बहुत ही जल्द समान नागरिक संहिता देश में जल्द लागू करने जा रही है। इसके लिए पांच राज्यों ने समितियां बनाई गई है। जिसकी रिपोर्ट बहुत जल्द पेश होने वाली है। जिसके बाद इन सभी 5 राज्यों में समान नागरिक संहिता का कानून बनाया जाएगा। जानकारी मुताबिक, जब इन पांच राज्यों में कानून बनेगा तो उसके बाद पूरे देश में UCC को लागू करने लिए कदम उठाएगी।

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बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के भाषण के दौरान समान नागरिक संहिता का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने समान नागरिक संहिता पर बार-बार चर्चा की है और कई बार इसे लेकर निर्देश जारी किए हैं और अब केंद्र सरकार जल्द ही समान नागरिक संहिता लागू करने को लेकर कदम उठा सकती है। पीएम मोदी ने कहा था कि यह जरूरी है कि देश में एक धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता स्थापित की जाए, तभी यह धर्म के आधार पर भेदभाव को खत्म कर सकता है।

क्या है समान नागरिक संहिता कानून?

समान नागरिक संहिता एक सामाजिक मामलों से संबंधित कानून होता है जो सभी पंथ के लोगों के लिये विवाह, तलाक, भरण-पोषण, विरासत व बच्चा गोद लेने आदि में समान रूप से लागू होता है। दूसरे शब्दों में, अलग-अलग पंथों के लिये अलग-अलग सिविल कानून न होना ही ‘समान नागरिक संहिता’ की मूल भावना है। यह किसी भी पंथ जाति के सभी निजी कानूनों से ऊपर होता है।

फिलहाल समान नागरिक संहिता भारत में नागरिकों के लिए एक समान कानून को बनाने और लागू करने का एक प्रस्ताव है जो सभी नागरिकों पर उनके धर्म, लिंग और यौन अभिरुचि की परवाह किए बिना समान रूप से लागू होगा। वर्तमान में, विभिन्न समुदायों के व्यक्तिगत कानून उनके धार्मिक ग्रंथों द्वारा शासित होते हैं। पूरे देश में समान नागरिक संहिता लागू करना भारत की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी द्वारा किए गए विवादास्पद वादों में से एक है।

यह भारतीय राजनीति में धर्मनिरपेक्षता के संबंध में एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और शरिया और धार्मिक रीति-रिवाजों की रक्षा में भारत के राजनीतिक वामपंथी, मुस्लिम समूहों और अन्य रूढ़िवादी धार्मिक समूहों और संप्रदायों द्वारा विवादित बना हुआ है। अभी व्यक्तिगत कानून सार्वजनिक कानून से अलग-अलग हैं।

 

इस बीच, भारतीय संविधान का अनुच्छेद 25-28 भारतीय नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है और धार्मिक समूहों को अपने स्वयं के मामलों का प्रबंधन करने की अनुमति देता है, संविधान का अनुच्छेद 44 भारतीय राज्य से अपेक्षा करता है कि वह राष्ट्रीय नीतियां बनाते समय सभी भारतीय नागरिकों के लिए राज्य के नीति निर्देशक तत्व और समान कानून को लागू करे।

 

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