राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने से विश्व संघ शिक्षा वर्ग में उद्बोधन में प्रवासी भारतीयों के महत्व को रेखांकित किया है। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि प्रवासी भारतीयों के आचरण पर धब्बा नहीं है। भागवत ने आगे कहा कि जहां भी प्रवासी भारतीय गए हैं, वो उस देश के लिए एसेट बने हैं। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा किकैरिबियंस देशों में रहने वाले भाई बहनों इसका दुख ना करो कि आप लोग अपनी मातृभूमि से बिछड़े हुए है।भगवान ने प्रयोजन किया है, उसकी इच्छा से ये हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि आपके भाग्य में अपनी स्वभूमि से निर्वासन और ऐसी स्थिति में भी उसकी पुरानी स्मृतियां पीढ़ी दर पीढ़ी रह रहे हैं, उसको आपको सारी दुनिया को देना है।
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संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत का उत्थान तब हुआ जब हम विश्व के कल्याण के मार्ग पर चले। उन्होंने कहा कि भारत विश्व को धर्म से जोड़ने वाला देश है और भारत व्यक्ति को प्रकृति से जोड़ने वाला तत्व धर्म है। उन्होंने कहा कि संघ का काम भारत को विश्वगुरु बनाना है। साथ ही उन्होंने कहा किपर्यावरण का संकट दरवाजा खटखटा रहा है. जीवन मोक्ष और जनहित के लिए जीना है। इस तरुण पीढ़ी को संघ का काम अब और आगे ले जाना है।
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