बीबी जागीर कौर, परमिंदर ढींडसा ने अकाल तख्त के समक्ष स्पष्टीकरण दिया |

बीबी जागीर कौर, परमिंदर ढींडसा ने अकाल तख्त के समक्ष स्पष्टीकरण दिया

बीबी जागीर कौर, परमिंदर ढींडसा ने अकाल तख्त के समक्ष स्पष्टीकरण दिया

:   Modified Date:  September 10, 2024 / 12:52 AM IST, Published Date : September 10, 2024/12:52 am IST

अमृतसर, नौ सितंबर (भाषा) शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के बागी नेता परमिंदर सिंह ढींडसा और पूर्व मंत्री बीबी जागीर कौर के अलावा पूर्व मंत्री सोहन सिंह ठंडल सोमवार को अकाल तख्त के समक्ष पेश हुए और उन्होंने सिखों की सर्वोच्च धार्मिक पीठ के निर्देशों का पालन करते हुए अपने लिखित स्पष्टीकरण सौंपे।

कौर और ढींडसा शिरोमणि अकाली दल के नेताओं के उस समूह का हिस्सा थे, जिन्होंने पार्टी प्रमुख सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ विद्रोह किया था।

उनका स्पष्टीकरण अकाल तख्त द्वारा बादल को ‘तनखैया’ घोषित किए जाने के कुछ दिन बाद आया है। बादल को 2007 से 2017 तक उनकी पार्टी और पार्टी की सरकार द्वारा की गई ‘‘गलतियों’’ के लिए धार्मिक कदाचार का दोषी ठहराया गया है।

पांच तख्तों के सिंह साहिबान की बैठक के बाद अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा था कि सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया है कि बादल जब उपमुख्यमंत्री और शिअद अध्यक्ष थे, तब उन्होंने ऐसे फैसले किए, जिनसे पार्टी प्रभावित हुई और सिखों के हितों को नुकसान पहुंचा।

सिंह ने यहां अकाल तख्त परिसर से फैसला सुनाते हुए कहा था कि जब तक बादल अपने ‘पापों’ के लिए माफी नहीं मांग लेते, तब तक वे ‘तनखैया’ बने रहेंगे।

सिंह ने बादल से 15 दिन के भीतर व्यक्तिगत रूप से पेश होने और माफी मांगने को कहा।

जत्थेदार ने कहा था कि 2007-2017 तक अकाली मंत्रिमंडल का हिस्सा रहे सिख समुदाय के मंत्रियों को भी 15 दिन के भीतर अकाल तख्त के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर अपना लिखित स्पष्टीकरण देना चाहिए।

ढींडसा ने कहा, ‘‘हम अकाल तख्त के लिए प्रतिबद्ध हैं। निर्देशों के अनुसार, मैंने स्पष्टीकरण प्रस्तुत किया।’’

अकाल तख्त के समक्ष पेश होने से पहले, ढींडसा और कौर दोनों ने विद्रोही अकाली नेताओं द्वारा गठित ‘शिरोमणि अकाली दल सुधार लहर’ से इस्तीफा दे दिया।

वर्ष 1999, 2004 और 2020 में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की पूर्व अध्यक्ष रहीं कौर एक महीने के लिए पर्यटन और सांस्कृतिक मामलों की मंत्री भी थीं।

उन्होंने कहा कि उन्होंने 14 मार्च, 2012 को मंत्री पद की शपथ ली थी और 30 मार्च, 2012 को इस्तीफा दे दिया था। वह शिअद कोर कमेटी की सदस्य रहीं और उनके कार्यकाल के दौरान ऐसे किसी मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई, जो वर्तमान में अकाल तख्त के समक्ष हैं।

भाषा सिम्मी नेत्रपाल

नेत्रपाल

 

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