नई दिल्ली: बिहार के पूर्व सीएम और समाजिक उत्थान के प्रणेता कहे जाने वाले कर्पूरी ठाकुर का नाम इस साल भारत रत्न के लिए तय किया गया हैं। कर्पूरी ठाकुर बिहार से संबंध रखने वाले चौथे शख्सियत है जिन्हें यह सम्मान हासिल होगा। जननायक के तौर पर विख्यात कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न दिए जाने का फैसला खुद देश के प्रधानमंत्री ने किया हैं। आज कर्पूरी ठाकुर की 100 वीं जन्म शताब्दी हैं लिहाजा देश, समाज और भारतीय राजनीति में उनके महत्वपूर्ण योगदान को देखते हुए भी मौजूदा साल में उन्हें सम्मानित किये जानें का फैसला किया गया।
पक्ष-विपक्ष के नेता भी केंद्र सरकर के इस ऐलान की प्रशंसा कर रहे हैं। हालाँकि उनका दावा यह भी हैं कि वह इसकी मांग लम्बे समय से कर रहे थे। कांग्रेस का तर्क हैं कि केंद्र ने यह फैसला चुनाव को देखते हुए लिया गया हैं। बहरहाल भारत रत्न पर आज सभी दल और नेता सहमत नजर आ रहे तो एक दौर ऐसा भी था जब यह विवादों में घिर गया था। देश के दो पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी भी भारत रत्न से सम्मानित हैं। उनपर आरोप लगते रहे हैं कि यह सम्मान उन्होंने खुद को दिया था। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत रत्न पर अंतिम फैसला प्रधानमंत्री की समिति करती रही हैं वही जब दोनों प्रधानमंत्री को भारत रत्न मिला तब वे इस पद पर थे। तो क्या वाकई उन्होंने खुद को देश का सर्वोच्च सम्मान दिया था या फिर इसके पीछे की कहानी कुछ और थी।
दरअसल भारत रत्न का नाम तय करने के लिए कोई विशेष अधिकार प्राप्त समिति या ज्यूरी नहीं होती है। हालांकि, इसके पीछे एक परंपरा है। कैबिनेट जिसका अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है, वह राष्ट्रपति को इन नामों की अनुशंसा करता है। इसके बाद राष्ट्रपति इन नामों पर अंतिम निर्णय लेते हैं। बता दें कि यह कोई कानून या अधिनियम नहीं है, बल्कि यह परंपरा है।
स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू जब भारत रत्न से सम्मानित हुए थे तब देश के राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे। इस तरह पं. नेहरू को यह सम्मान उन्होंने ही दिया था। लेकिन अब सवाल यह उठता हैं कि क्या डॉ प्रसाद से इसकी सिफारिश खुद तब के प्रधानमंत्री पं. नेहरू ने की थी? न्यूज वेबसाइट द वायर में छपी रिपोर्ट के मुताबिक 15 जुलाई, 1955 में एक भोज आयोजन के दौरान तत्कालीन राष्ट्रपति ने यह एलान खुद ही किया था। तब उन्होंने पं. नेहरू को शांतिदूत कहा भी था। 16 जुलाई, 1955 को द टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक आर्टिकल की मानें तो राष्ट्रपति ने इस बात को स्वीकार किया था कि उन्होंने बिना प्रधानमंत्री या कैबिनेट के सुझाव के खुद यह सम्मान पंडित नेहरू को दिया। राष्ट्रपति ने 1955 में प्रधानमंत्री नेहरू को यह पुरस्कार कोल्ड वॉर के दौरान सोवियत यूनियन में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की भूमिका को सफलतापूर्वक स्थापित करने के लिए दिया था।
पं. नेहरू के बाद देश की कमान संभालने वाली इंदिरा गांधी को लेकर भी आरोप लगाए जाते रहे कि उन्होंने भी खुद को यह सम्मान दिया था। इस आरोप के पीछे दलील यह भी दी जाती थी कि यह भारत रत्न 1971 के लिए था जबकि इसका ऐलान 1972 में हुआ। दरअसल इस साल देश के राष्ट्रपति थे वीवी गिरी। इंदिरा को भारत रत्न का फैसला भी उन्होंने अपने विवेक से किया था। इंदिरा गांधी को यह सम्मान पाकिस्तान-बांग्लादेश युद्द में महत्वपूर्व भूमिका निभाने के लिए दिया गया था।
अबतक भारत रत्न का पुरस्कार 48 लोगों को मिल चुका हैं। कर्पूरी ठाकुर 49वें शख्स हैं। पहला भारत रत्न डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण को 1954 में हासिल हुआ था।
प्रणब मुखर्जी (2019)
भूपेन हजारिका (2019)
नानाजी देशमुख (2019)
मदन मोहन मालवीय (2015)
अटल बिहारी वाजपेयी (2015)
सचिन तेंदुलकर (2014)
सीएनआर राव (2014)
पंडित भीमसेन जोशी (2008)
लता दीनानाथ मंगेशकर (2001)
उस्ताद बिस्मिल्लाह खान (2001)
प्रो अमर्त्य सेन (1999)
लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई (1999)
लोकनायक जयप्रकाश नारायण (1999)
पंडित रविशंकर (1999)
चिदंबरम सुब्रमण्यम (1998)
मदुरै शनमुखावदिवु सुब्बुलक्ष्मी (1998)
डॉ. अबुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम (1997)
अरुणा आसफ अली (1997)
गुलजारी लाल नंदा (1997)
जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा (1992)
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद (1992)
सत्यजीत रे (1992)राजीव गांधी (1991)
सरदार वल्लभभाई पटेल (1991)
डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर (1990)
डॉ. नेल्सन रोलिहलाहला मंडेला (1990)
मरुदुर गोपालन रामचंद्रन (1988)
खान अब्दुल गफ्फार खान (1987)
आचार्य विनोबा भावे (1983)
मदर टेरेसा (1980)
कुमारस्वामी कामराज (1976)
वराहगिरी वेंकट गिरी (1975)
इंदिरा गांधी (1971)
लाल बहादुर शास्त्री (1966)
डॉ. पांडुरंग वामन केन (1963)
डॉ. जाकिर हुसैन (1963)
डॉ. राजेंद्र प्रसाद (1962)
डॉ. बिधान चंद्र रॉय (1961)
पुरुषोत्तम दास टंडन (1961)
डॉ. धोंडे केशव कर्वे (1958)
पं गोविंद बल्लभ पंत (1957)
डॉ. भगवान दास (1955)
जवाहरलाल नेहरू (1955)
डॉ. मोक्षगुंडम विवेस्वराय (1955)
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी (1954)
डॉ. चंद्रशेखर वेंकट रमन (1954)
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1954)