सुरक्षा बलों में महिलाओं के लिए बेहतर कार्यस्थल सुविधाएं जरूरी : राकांपा सदस्य ने रास में की मांग |

सुरक्षा बलों में महिलाओं के लिए बेहतर कार्यस्थल सुविधाएं जरूरी : राकांपा सदस्य ने रास में की मांग

सुरक्षा बलों में महिलाओं के लिए बेहतर कार्यस्थल सुविधाएं जरूरी : राकांपा सदस्य ने रास में की मांग

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Modified Date: March 25, 2025 / 04:08 PM IST
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Published Date: March 25, 2025 4:08 pm IST

नयी दिल्ली, 25 मार्च (भाषा) राज्यसभा में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसएसपी) की सदस्य फौजिया खान ने मंगलवार को सुरक्षा बलों में कार्यरत महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए संस्थागत सुधारों और क्रेच सहित बेहतर कार्यस्थल सुविधाओं की वकालत की।

राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए, फौजिया खान ने याद दिलाया कि 15 फरवरी को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई दुखद भगदड़ के बाद, एक तस्वीर सोशल मीडिया पर आई थी, जिसमें एक महिला आरपीएफ कांस्टेबल अपने एक साल के बच्चे को सीने से बांधे हुए स्टेशन पर गश्त करती दिख रही थी।

उन्होंने कहा, ‘‘आरपीएफ द्वारा नारी शक्ति के प्रतीक के रूप में महिमामंडित किए जाने के बावजूद, मेरा मानना ​​है कि यह तस्वीर वास्तव में सुरक्षा बलों में महिला कर्मियों के सामने आने वाली प्रणालीगत चुनौतियों और कामकाजी माताओं को बुनियादी सहायता प्रदान करने में प्रणाली की विफलता को उजागर करती है।’’

फौजिया खान ने कहा कि सुरक्षा बलों में महिलाओं को पहले से ही महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा कार्य की प्रकृति सीधे तौर पर छोटे बच्चों की निरंतर देखभाल से संबद्ध होती है।

उन्होंने कहा, ‘‘सुरक्षा बलों में काम कर रही महिलाओं के लिए हर जगह शौचालय, शिशु गृह, शिशु देखभाल या स्तनपान कक्ष की आवश्यकता है, ताकि महिलाएं अपनी व्यावसायिक और मातृत्व संबंधी जिम्मेदारियों का प्रभावी ढंग से निर्वहन कर सकें।’’

राकांपा सदस्य ने यह भी कहा कि सुरक्षा बलों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने का सरकार के लक्ष्य को स्थायी नीतियों द्वारा मजबूती दी जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में महिलाओं का प्रतिशत मात्र 4.4 प्रतिशत है।

फौजिया खान ने कहा ‘‘नारी शक्ति के नाम पर दिखावे से आगे बढ़कर महिलाओं के लिए वास्तविक और ठोस कार्य किया जाना चाहिए। नीति निर्माताओं को यह स्वीकार करना चाहिए कि महिलाओं को इन भूमिकाओं में सफल होने में सक्षम बनाने के लिए प्रणालीगत परिवर्तन, बुनियादी ढांचे में निवेश, बेहतर कार्यस्थल सुविधाएं, लचीली नीतियां, वित्तीय सहायता और उनकी दोहरी जिम्मेदारियों को ध्यान में रखने की आवश्यकता है।’’

उन्होंने जोर देकर कहा कि शिशुओं की देखभाल को एक बुनियादी सेवा के रूप में माना जाना चाहिए, न कि एक विलासिता के रूप में।

भाषा

मनीषा माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)