HFM diseases: हो जाएं अलर्ट! फिर एक नए वारयस ने दी दस्तक

हो जाएं अलर्ट! फिर एक नए वारयस ने दी दस्तक, बच्चों में तेजी से फैल रहा ये वायरस

HFM diseases: हो जाएं अलर्ट! फिर एक नए वारयस ने दी दस्तक, बच्चों में तेजी से फैल रहा ये वायरस, झारखंड में रोज पहुंच रहे संक्रमित

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Modified Date: November 29, 2022 / 09:00 PM IST
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Published Date: August 12, 2022 12:21 pm IST

HFM diseases: झारखंड। दुनियाभर में आए दिन नए-नए वायरस तबाही मचा रहें है। कोरोना महामारी के बाद मंकीपॉक्स के मरीज मिलने चालू ही हुए थे कि इसी बीच एक और नए वायरस ने दस्तक दे दी है। कोविड संक्रमण, मिस-सी बीमारी के बाद अब नवजात से 7 तक के बच्चों में होनी वाली एक और बीमारी एचएफएम डीजीज का प्रकोप बढ़ रहा है। इस बीमारी के चपेट में आते ही बच्चों के शरीर में रैशेज, छाले, दाने, चकते जैसे निशान हो जा रहे हैं। दरअसल, ये लक्षण बच्चों में वायरस के कारण होने वाली बीमारी हैंड-फुट एंड माउथ डिजीज है। यह बीमारी कॉक्ससैवी और ईको वायरस के कारण फैलती है। पांच साल पहले यानी 2017 में इसका प्रकोप शुरू होने के बाद मरीज मिलने बंद हो गए थे। लेकिन, यह एक बार फिर एक्टिव हुआ है। एक संक्रमित बच्चा दर्जनों बच्चों को संक्रमित कर सकता है। कोविड की तरह की इस बीमारी का भी प्रसार होता है।

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क्या-क्या हैं लक्षण

HFM diseases: 1. इस बीमारी से पहले बच्चों को तेज बुखार का आना, इसमें बुखार की दवा दी जाती है।
2. हाथ-पैर से लेकर शरीर के दूसरे हिस्सों में लाल दाग, रैशेज जैसे निशान, चेचक जैसे फोड़े होने लगते हैं।
3. मुंह में छाले पड़ते हैं। एंटीबायोटिक के अलावा छाले की दवा दी जाती है।
4. हालांकि, इस बीमारी में डेथ रेट शून्य है। 5 से 10 दिनों में यह ठीक होने लगता है। साथ ही शरीर के धब्बे भी खत्म हो जाते हैं।
5. लोग इसे चेचक समझ लेते हैं, पर यह चेचक नहीं है।

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रिम्स में मिले 150 से ज्यादा बच्चे

HFM diseases: राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स) में इस बीमारी की चपेट में आने के बाद पिछले एक सप्ताह में करीब 150 से ज्यादा बच्चे अभिभावकों के साथ अस्पताल पहुंच चुके हैं। बुधवार को ही ओपीडी में 17 बच्चे आए थे। जबकि, यहां आधा दर्जन से ज्यादा बच्चे इसकी चपेट में आने के बाद भर्ती हैं। बालपन चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में दो बच्चा भर्ती है। जबकि, ओपीडी में प्रतिदिन यहां 8 से 10 बच्चे इसी बीमारी को लेकर पहुंचते हैं। रानी हॉस्पिटल में भी आधा दर्जन बच्चे इलाजरत हैं। जबकि, सिर्फ बुधवार को ओपीडी में 7 बच्चों की इलाज की गई है।

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