नयी दिल्ली, 25 मार्च (भाषा) सरकार ने मंगलवार को संसद में बताया कि जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में अत्यधिक ऊंचाई वाले स्थानों पर हिमस्खलन बार-बार होने वाली प्राकृतिक घटना है और सरकार इससे जान-माल की सुरक्षा को उत्पन्न होने वाले खतरों से अवगत है।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि पूर्वानुमान को बेहतर करने के लिए संवेदनशील क्षेत्रों में स्वचालित मौसम केंद्र और डॉप्लर रडार स्थापित किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि रक्षा भू-सूचना विज्ञान अनुसंधान प्रतिष्ठान (डीजीआरई) ने 72 हिम मौसम विज्ञान वेधशालाएं स्थापित की हैं और 45 स्वचालित मौसम केंद्र (एडब्ल्यूएस) चालू हालत में हैं, 100 (एडब्ल्यूएस) परीक्षण के चरण में हैं और 203 (एडब्ल्यूएस) स्थापित किये जाने हैं।
राय ने बताया कि हिम वेधशालाओं से 3 घंटे के अंतराल पर और डीजीआरई में एडब्ल्यूएस से एक घंटे के अंतराल पर नियमित रूप से डेटा प्राप्त किया जाता है।
उन्होंने बताया कि प्राप्त डेटा और विशेषज्ञ की राय का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों के लिए, कम से कम 24 घंटे पहले हिमस्खलन का पूर्वानुमान लगाने के लिए किया जाता है।
उन्होंने कहा कि सरकार हिमालयी क्षेत्रों में हिमस्खलन के खतरे से अवगत है, जो मानव जीवन और संपत्ति के लिए बड़ा खतरा पैदा करता है। उन्होंने कहा, ‘‘जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश के अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हिमस्खलन बार-बार होने वाली प्राकृतिक घटना/आपदा है।’’
मंत्री ने कहा कि सरकार हिमस्खलन की पूर्व चेतावनी और पूर्वानुमान के लिए प्रभावी ढंग से प्रौद्योगिकियों का उपयोग कर रही है।
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