भारतीय 'संस्कृति' को मिटाने का प्रयास किया गया, लेकिन हमारी संस्कृति शाश्वत है: गजेंद्र शेखावत |

भारतीय ‘संस्कृति’ को मिटाने का प्रयास किया गया, लेकिन हमारी संस्कृति शाश्वत है: गजेंद्र शेखावत

भारतीय 'संस्कृति' को मिटाने का प्रयास किया गया, लेकिन हमारी संस्कृति शाश्वत है: गजेंद्र शेखावत

:   Modified Date:  October 16, 2024 / 06:35 PM IST, Published Date : October 16, 2024/6:35 pm IST

(फोटो के साथ)

नयी दिल्ली, 16 अक्टूबर (भाषा) केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बुधवार को भारत की प्राचीन सभ्यताओं की सराहना की और कहा कि अतीत में इसकी संस्कृति और सनातन परंपराओं को मिटाने के प्रयास किए गए लेकिन ‘‘हमारी संस्कृति लगातार शाश्वत बनी हुई है’’।

भारतीय नृत्य पर छह दिवसीय अंतरराष्ट्रीय महोत्सव के उद्घाटन समारोह में अपने संबोधन में शेखावत ने कहा कि भारत ‘‘गंगा और गीता’’ तथा समृद्ध संस्कृति और लोक परंपराओं का देश है।

उन्होंने कहा कि शास्त्रीय और लोक नृत्य अविश्वसनीय हैं और संस्कृति को कई आयाम प्रदान करते हैं।

संगीत नाटक अकादमी द्वारा यहां आयोजित कार्यक्रम में मंत्री ने कहा कि संस्कृति ऐसी है कि यह शुष्क रेगिस्तानों को भी रंग प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि यह आयोजन ऐसे समय में हो रहा है जब विश्व ‘‘नैतिक पतन’’ के रास्ते पर चल रहा है और भू-राजनीतिक अशांति ने पूरे विश्व को ‘‘हिलाकर रख’’ दिया है।

शेखावत ने कहा, ‘‘लेकिन दूसरी ओर, यह ऐसे समय में हो रहा है, जब भारत असीम संभावनाओं की दहलीज पर खड़ा है। ऐसे समय में, जब भारत की संस्कृति, पारंपरिक मूल्य, कला, विज्ञान, योग, आयुष और कृषि परंपराओं की विश्व में स्वीकार्यता एक नए रूप में बढ़ रही है।’’

सदियों से भारत पर शासन करने वाले किसी भी शासक या राजवंश का नाम लिए बिना शेखावत ने कहा, ‘‘हम सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक हैं, लेकिन इस भारतीय संस्कृति, इन सनातन परंपराओं को मिटाने के लिए कई प्रयास किए गए, कई षड्यंत्र रचे गए और उन्होंने इसे मिटाने की कोशिश की।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे बौद्धिक संसाधनों और क्षमताओं को बर्बाद करने के लिए कई लोगों ने हम पर आक्रमण किया, उन्होंने हमारी शिक्षा प्रणाली को खराब करने की भी कोशिश की और षड्यंत्र किया, फिर भी हमारी संस्कृति शाश्वत बनी रही।’’

इस कार्यक्रम में प्रख्यात नृत्यांगना सोनल मानसिंह और कई अन्य कलाकार भी शामिल हुए।

शेखावत ने कहा, ‘‘आज जब भारत विश्व मंच पर विश्व बंधु के रूप में अपनी जगह बना रहा है, तो यही सांस्कृतिक ताकत भारत को वैश्विक स्तर पर नई पहचान दिलाएगी।’’

भाषा देवेंद्र वैभव

वैभव

 

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