Atiq ahmed murder C-Voter Survey : उत्तर प्रदेश में तीन दशकों तक आतंक और खौफ का पर्याय रहा अतीक अहमद का आधा कुनबा मारा जा चुका हैं। अतीक के छोटे बेटे असद की एनकाउंटर में मौत के बाद शनिवार को प्रयागराज में अतीक और उसके भाई अरशद को भी गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया गया। सूबे के सबसे बड़े माफिया के सफ़ाये को सीधे तौर पर उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था से जोड़कर देखा जा रहा हैं। वही राजनीतिक दल के नेता और और देश का एक बड़ा वर्ग इस पूरे घटनाक्रम को सियासी चश्मे से भी देख रहा हैं। उमेश पाल हत्याकांड के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में दावे के साथ कहा था की वह प्रदेश के माफियाओं को मिट्टी में मिला देंगे लिहाजा समझा जा रहा हैं की अतीक के सफ़ाये का सबसे बड़ा फायदा भाजपा को ही होगा। हालाँकि विरोधी दल अतीक और अरशद के मौत पर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं।वे इसे प्रदेश के लॉ एन्ड ऑर्डर के साथ देश की न्याय व्यवस्था और लोकतंत्र पर धब्बा बता रहे हैं।
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Atiq ahmed murder C-Voter Survey : पर इन सबके बीच बड़ा सवाल यही हैं की क्या अतीक, अरशद और असद के मौत से भाजपा को वाकई फ़ायदा होगा? या फिर अतीक और उसके बेटे के मौत से किसी तरह की सहानुभूति पैदा होगी जो भाजपा को ले डूबेगी? क्या भाजपा सिर्फ एक वर्ग को निशाने में ले रही हैं जैसा की विपक्षी दल आरोप लगा रहे हैं या फिर वास्तव में योगी आदित्यनाथ ठान चुके हैं की अपने सीएम रहते उत्तर प्रदेश से माफियाराज को ख़त्म कर के ही दम लेंगे? इन्ही तमाम सवालों पर सी-वोटर्स ने एक अहम सर्वे कराया हैं। सर्वे में वैसे तो कई सवालों को शामिल किया गया हैं लेकिन जो सबसे महत्वपूर्ण सवाल हैं वह यही की क्या अतीक के मौत का फायदा भाजपा को आने वाले दिनों में चुनावों में हासिल होगा या फिर उन्हें इस घटनाक्रम का नुकसान झेलना पडेगा। इस सर्वे में जो नतीजे सामने आएं हैं वह चौंकाने वाले हैं।
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Atiq ahmed murder C-Voter Survey : पहला सवाल यह था की लोग अतीक-असद की हत्या को क्या मानते हैं? इस पर 52 प्रतिशत लोग मानते हैं की वह माफिया था लिहाजा यह मायने नहीं रखता की उसकी हत्या किसने की। 24 फ़ीसदी वोटरों ने इसे राजनितिक षड़यंत्र बताया हैं जबकि 14 प्रतिशत इसे पुलिस फैल्यर मानते है तो वही 11 फीसदी इस पर कुछ नहीं कहना चाहते। बात अगर भाजपा को फायदे और नुकसान की करें तो 47 प्रतिशत लोगो का सीधा मानना हैं की अतीक और असद के मौत का सीधा फायदा बीजेपी को होगा। 17 फ़ीसदी को लगता हैं की बीजेपी के लिए सेल्फगोल होगा और उन्हें इसका नुकसान झेलना पड़ेगा जबकि 10 प्रतिशत का कहना हैं की उन्हें इसके परिणाम के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं।
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