Article 370 in Kashmir: नई दिल्ली: देश की शीर्ष अदालत ने ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम की संवैधानिकता पर फैसला देने से इनकार कर दिया है। लेकिन जम्मू-कश्मीर की विधानसभा के चुनाव कराने के लिए 30 सितंबर, 2024 की समय सीमा तय कर दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू एवं कश्मीर को प्राप्त विशेष दर्जे को रद्द करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार की मांग करने वाली याचिकाएं मंगलवार को खारिज कर दीं। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने यह कहते हुए समीक्षा याचिकाएं खारिज कर दीं कि 11 दिसंबर, 2023 को दिए गए फैसले में कोई गलती नहीं है।
पांच जजों की पीठ ने कहा, “11 दिसंबर, 2023 को पारित हमारे फैसले की समीक्षा करने के बाद, हमें सुप्रीम कोर्ट के नियम 2013 के आदेश एक्सएल सात, नियम 1 के तहत समीक्षा के लिए कोई मामला नहीं मिला।” आपको बता दें कि इसके साथ पीठ ने राष्ट्रपति के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा छीन लिया था।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को आश्वासन दिया था कि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल किया जाएगा। अदालत ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम की संवैधानिकता पर फैसला देने से परहेज किया और जम्मू-कश्मीर की विधान सभा के चुनाव कराने के लिए 30 सितंबर, 2024 की समय सीमा तय की है।
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इसके पहले दिसंबर 2023 में पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने केंद्र सरकार के फैसले को सही ठहराया था। 1947 में जम्मू और कश्मीर के भारत में विलय के साथ शुरू हुए अनुच्छेद-370 के प्रावधान को खत्म करने को समय की मांग बताया था। कोर्ट ने कहा था कि अनुच्छेद 370 हमेशा एक अस्थायी प्रावधान था।