नई दिल्ली। Supreme Court on AMU Minority Status Case : अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसख्यंक दर्जे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। 7 बेंच वाली सुप्रीम कोर्ट ने -3 के बहुमत से यह फैसला सुनाया है। कोर्ट का कहना है कि एएमयू का अल्पसंख्यक का दर्जा बरकरार रहेगा। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कोई भी धार्मिक समुदाय संस्थान की स्थापना कर सकता है। मगर धार्मिक समुदाय संस्था का प्रशासन नहीं देख सकता है। इस मामले पर सीजेआई समेत चार जजों ने एकमत फैसला दिया है जबकि तीन जजों ने डिसेंट नोट दिया है। मामले पर सीजेआई और जस्टिस पारदीवाला एकमत हैं। वहीं, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा का फैसला अलग है।
Supreme Court’s 7- judge bench by a majority of 4:3 rules that Aligarh Muslim University (AMU) is entitled to minority status under Article 30 of the Constitution of India pic.twitter.com/bTszwO7Nnz
— ANI (@ANI) November 8, 2024
उन्होंने आगे कहा कि किसी भी नागरिक की ओर से स्थापित एक शैक्षणिक संस्थान को अनुच्छेद 19(6) के तहत विनियमित किया जा सकता है। इस अदालत ने कहा है कि अनुच्छेद 30 के तहत अधिकार पूर्ण नहीं है। अनुच्छेद 19(6) के तहत अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों का विनियमन की अनुमति है, बशर्ते कि यह संस्थान के अल्पसंख्यक चरित्र का उल्लंघन न करे।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय भारत के प्रमुख केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में से एक है जो उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में स्थित है। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय एक आवासीय शैक्षणिक संस्थान है। इसकी स्थापना 1920 में सर सैयद अहमद खान द्वारा की गई थी और 1921 में भारतीय संसद के एक अधिनियम के माध्यम से केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की तर्ज पर ब्रिटिश राज के समय बनाया गया पहला उच्च शिक्षण संस्थान था। मूलतः यह मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल काॅलेज था, जिसे महान मुस्लिम समाज सुधारक सर सैयद अहमद खान द्वारा स्थापित किया गया था। कई प्रमुख मुस्लिम नेताओं, उर्दू लेखकों और उपमहाद्वीप के विद्वानों ने विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त कर रखी है।