New Criminal Laws Details : नई दिल्ली। देश में सोमवार को तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए, जिससे भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में दूरगामी बदलाव आएंगे। भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) 2023 आज से पूरे देश में प्रभावी हो गए हैं। इन तीनों कानून ने ब्रिटिश कालीन कानूनों क्रमश: भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली है। सोमवार से सभी नयी प्राथमिकियां बीएनएस के तहत दर्ज की जाएंगी। हालांकि, जो मामले यह कानून लागू होने से पहले दर्ज किए गए हैं उनके अंतिम निपटारे तक उन मामलों में पुराने कानूनों के तहत मुकदमा चलता रहेगा।
New Criminal Laws Details : बता दें कि लागू किए गए नए कानून को लेकर गृहमंत्री अमित शाह ने प्रेस कांफ्रेंस की और समझाया कि आखिर नए कानूनों की जरूरत क्यों पड़ी। उन्होंने कहा कि यह न्याय व्यवस्था का भारतीयकरण है। केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा,’तीनों नए कानून मध्य रात्रि से काम कर रहे हैं। इंडियन पीनल कोड की जगह भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) आ चुकी है। सबसे पहले हमने इसमें संविधान की आत्म के तहत दफाओं और चैप्टर की प्रायोरिटी तय की है। महिलाओं बच्चों को प्राथमिकता दी गई है, जो करने की जरूरत थी।’
अमित शाह ने कहा कि नए कानून भारत की संसद ने बनाए हैं। नए कानून से ट्रायल में कमी आएगी। पुरानी धाराएं हटाकर नई धाराएं जोड़ी गई हैं, अब दंड की जगह न्याय पर जोर है। भारतीय कानून के अनुसार अब तक भारतीय दंड संहिता के अनुसार हर अपराधी को सजा मिलती थी। यह दंड संहिता 1860 में बनी थी। वहीं, अब भारतीय न्याय संहिता के तहत सजा मिलेगी, जिसको पिछले साल ही संसद की मंजूरी मिली। भारतीय दंड संहिता (IPC) 511 धाराएं थीं।
वहीं, भारतीय न्याय संहिता (BNS) में 358 धाराएं हैं। आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) 1898 में 484 धाराएं थीं। अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2023 में 531 धाराएं हैं। भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 में 167 प्रावधान थे। अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 में 170 प्रावधान हैं।
तीन नए आपराधिक कानूनों पर बोलते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा “सबसे पहले मैं सभी देशवासियों को शुभकामनाएं देना चाहूंगा कि आजादी के लगभग 77 साल बाद हमारी अपराधी न्याय प्रणाली पूरी तरह स्वदेशी हो गई है। यह भारतीय मूल्यों पर काम करेगी। 75 साल बाद इन कानूनों पर चर्चा की गई और आज जब ये कानून प्रभावी हो रहे हैं तो ब्रिटिश काल के कानून पूरी तरह से खत्म हो रहे हैं।
अब भारतीय संसद में बने नियम प्रभावी होंगे। दंड की जगह अब न्याय मिलेगा। अब देरी की बजाय तेजी से सुनवाई होगी और जल्द न्याय मिलेगा। पहले सिर्फ पुलिस के अधिकारों का बचाव होता था, लेकिन अब पीड़ित और शिकायतकर्ता के अधिकारों की भी सुरक्षा होगी।”
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