जम्मू, 28 जून (भाषा) सेना के सतर्क जवानों ने जम्मू में एक सैन्य प्रतिष्ठान पर ड्रोन हमले की ताजा साजिश को नाकाम कर दिया। वहीं, वायुसेना स्टेशन पर हमला मामले में शुरुआती जांच में आरडीएक्स समेत विस्फोटक रसायनों के इस्तेमाल का अंदेशा जताया गया है जो देश में हुआ इस तरह का पहला आतंकी हमला है।
सूत्रों ने सोमवार को बताया कि ड्रोन किस हवाई मार्ग से आया, जांच अधिकारी अब तक इसका पता नहीं लगा पाये हैं। जांच अधिकारियों ने सीसीटीवी फुटेज को खंगाला, जिसमें हवाईअड्डा की चारदीवारी पर लगे कैमरे भी शामिल हैं। हालांकि, सभी सीसीटीवी कैमरे सड़क किनारे लगे हैं।
अधिकारियों ने बताया कि शहर के बाहरी इलाके में जम्मू हवाई अड्डे के तकनीकी क्षेत्र में विस्फोटक सामग्री गिराने वाले ड्रोन को या तो सीमा पार या रात के दौरान किसी अन्य गंतव्य के लिए उड़ा दिया गया। जम्मू हवाई अड्डे से अंतरराष्ट्रीय सीमा तक हवाई दूरी 14 किमी है।
पाकिस्तान स्थित संदिग्ध आतंकवादियों का देश के किसी महत्वपूर्ण प्रतिष्ठान पर इस तरह का यह पहला ड्रोन हमला है। पंजाब के पुलिस महानिदेशक दिनकर गुप्ता ने ड्रोनों से राष्ट्रीय सुरक्षा के समक्ष पैदा हुई चुनौतियों से निपटने की रणनीति बनाने के लिये सोमवार को सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और राज्य पुलिस के अधिकारियों के साथ बैठक की।
केंद्रीय एजेंसियों के अनुसार, अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधानों को 2019 में रद्द किये जाने के बाद से पाकिस्तान से लगी संवेदनशील सीमा पर 300 से अधिक ड्रोन और अज्ञात उड़न वस्तुएं (यूएवी) देखी गई हैं।
सेना के जवानों ने रत्नुचक-कालूचक स्टेशन के ऊपर उड़ रहे दो ड्रोन पर गोलीबारी की जो बाद में लापता हो गये। यह घटना रविवार तड़के जम्मू स्थित वायुसेना के स्टेशन पर दो ड्रोन से किए गए हमले के बाद हुई है।
अधिकारियों ने बताया कि एक ड्रोन रविवार देर रात पौने 12 बजे और दूसरा ड्रोन दो बजकर 40 मिनट पर देखा गया। सैनिकों के गोलियां चलाने के बाद वे वहां से उड़ गए। साल 2002 में यहां आतंकवादी हमला हुआ था, जिसमें 10 बच्चों समेत 31 लोगों की मौत हुई थी।
अधिकारियों ने सोमवार को कहा कि सेना के सतर्क जवानों ने ब्रिगेड मुख्यालय के ऊपर उड़ रहे ड्रोन को मार गिराने के लिये लगभग दो राउंड गोलीबारी की। उन्होंने कहा कि तुरंत ही हाई अलर्ट जारी किया गया और त्वरित प्रतिक्रिया दल ने ड्रोन की ओर गोलीबारी की।
उन्होंने कहा, ‘‘ दोनों ड्रोन वहां से लापता हो गये। सैनिकों की सतर्कता और सक्रियता से एक बड़े खतरे को टाल दिया गया।’’ सुरक्षा बल अब भी सतर्क हैं और तलाशी अभियान जारी है।
अधिकारियों ने कहा कि सैन्य स्टेशन के बाहर के पूरे इलाके की तुरंत घेराबंदी कर दी गई और अंतिम रिपोर्ट मिलने तक बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान जारी था। अधिकारियों ने कहा कि जमीन पर अब तक कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला है।
कालूचक स्थित सैन्य स्टेशन 2002 के हमले के बाद से हाई अलर्ट पर है। उस हमले में तीन सैन्य कर्मियों, सैन्य परिवारों के 16 सदस्यों और 11 आम निवासियों समेत 31 लोगों की मौत हुई थी जबकि 48 लोग घायल हो गए थे।
भाषा सुरभि शफीक
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