Ajmer Dargah Shiva Temple News: अजमेर दरगाह की जगह शिव मंदिर के हिंदू संगठनों के दावे के बाद नया विवाद खड़ा हो गया है। हिंदू सेना अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने दावा किया है कि अजमेर दरगाह के स्थान पर संकट मोचन महादेव मंदिर हुआ करता था। हिंदू सेना की ओर से अजमेर की निचली अदालत में दायर की गई याचिका स्वीकार कर ली गई है। इसके बाद तो अजमेर दरगाह मंदिर विवाद में सियासत तेज हो गई है।
AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी की भी प्रतिकिया सामने आई है। AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने अजमेर दरगाह शिव मंदिर विवाद के पीछे भाजपा का हाथ बताया है। मीडिया से बातचीत में ओवैसी ने कहा कि राजस्थान के अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह 800 साल से है।
उन्होंने कहा कि अजमेर दरगाह शरीफ को लेकर पहले कभी इस तरह का कोई दावा नहीं किया गया। आज लोग दावा कर रहे हैं कि वहां दरगाह नहीं है जबकि दरगाह शरीफ में तो हर साल नरेंद्र मोदी भी चादर चढ़ाते हैं, भिजवाते हैं। पीएम मोदी से पहले भी कई प्रधानमंत्रियों ने चादर भिजवाई हैं। हमारे पड़ोसी मुल्क डिप्लोमेसी के नाम पर यहां डेलिगेशन भी भेजते हैं।
Ajmer Dargah controversy असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि जिस दिन बाबरी मस्जिद-राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था, उस दिन ही मैंने कह दिया था कि अब इस फैसले के बाद कई और मामले सामने आएंगे। देश में 15 दरगाह और मस्जिद पर केस दायर हो चुका है। मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट में 1991 वर्शिप एक्ट पर दायर केस पर जवाब ही दायर नहीं कर रही है। इस एक्ट का गलत इस्तेमाल करने की कोशिश की जा रही है। इस बात का ताजा उदाहरण यूपी की संभल मस्जिद है।
ओवैसी ने यह भी आरोप लगाया कि देश में जितनी मस्जिद और दरगाहें हैं, वहां पर बीजेपी-RSS के स्पॉन्सर्ड लोग हैं, जिनके जरिए माहौल पैदा किया जा रहा है। ये लोग लॉ एंड ऑर्डर का स्थिति पैदा करना चाह रहे हैं। अजमेर दरगाह मामले में याचिकाकर्ता ने जिस किताब का कोर्ट में जिक्र किया है, उसमें हिसाब से सबूत कहां है? मैं कल जाकर अर्जी डाल दूं कि प्रधानमंत्री के घर के नीचे मस्जिद थी तो क्या खुदाई का ऑर्डर दे देंगे? कल को बोल दूंगा संसद के नीचे कुछ और है तो क्या खुदाई का ऑर्डर मिल जाएगा?
हिंदू सेना अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अजमेर की सिविल कोर्ट में 38 पेज याचिका दायर की है, जिसे 27 नवंबर को स्वीकार कर लिया गया। हिंदू सेना चीफ ने मांग की है कि अजमेर दरगाह को संकट मोचन महादेव मंदिर घोषित किया जाए। दरगाह का किसी तरह का पंजीकरण है तो उसे रद्द करके ASI सर्वेक्षण करवाकर हिंदुओं को वहां पूजा करने का अधिकार दिया जाए।
अजमेर सिविल कोर्ट ने विष्णु गुप्ता की याचिका स्वीकार कर अजमेर दरगाह समिति, अल्पसंख्यक मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को एक नोटिस जारी कर तीनों से 20 दिसंबर तक जवाब मांगा है। याचिका में गुप्ता ने रिटायर्ड जज हरबिलास शारदा द्वारा 1911 में लिखी गई किताब ‘अजमेर: हिस्टॉरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव’ समेत तीन तर्कों के आधार पर दावा किया है। शारदा की 168 पन्नों की किताब में ‘दरगाह ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती’ नाम से एक पूरा अध्याय है।
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