नई दिल्ली: अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए शिलान्यास और भूमिपूजन किए जाने के बाद अब लोगों की नजर बाबरी मस्जिद को दिए गए 5 एकड़ जमीन पर है। सोशल मीडिया पर इस बात को लेकर कई मैसेज तेजी से वायरल हो रहे हैं कि बाबरी मस्जिद के लिए दिए 5 एकड़ जमीन पर अस्पताल बनाया जाएगा। लेकिन अभी तक इस बात का अधिकारिक ऐलान नहीं किया गया है। वहीं, वक्फ बोर्ड ने कहा है कि इसमें सच्चाई नहीं है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित जगह को राम मंदिर के लिए दे दी थी। वहीं मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन देने के लिए राज्य सरकार से कहा था। राज्य सरकार ने पास के गांव में पांच एकड़ जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को दी थी।
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बता दें कि बीते दिनों डॉ आनंद राय नाम के एक शख्स ने मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को टैग करते हुए ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने लिखा था कि सुना है कि, बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी ने तय किया है कि प्रशासन द्वारा आवंटित 5 एकड़ जमीन पर अयोध्या में एम्स के समकक्ष बहुमंजिला अस्पताल बनाएंगे। देखते है कितने धर्मनिरपेक्ष नेता चांदी की शिलाएं और दान देते हैं। वहीं, दिग्विजय सिंह ने रिट्वीट कर लिखा है कि ‘यदि बाबरी एक्शन कमेटी ने यह निर्णय लिया है तो वे बधाई के पात्र हैं।’
यदि बाबरी एक्शन कमेटी ने यह निर्णय लिया है तो वे बधाई के पात्र हैं। https://t.co/51ddNfyqex
— digvijaya singh (@digvijaya_28) August 7, 2020
फेसबुक पर कई लोगों ने इस पोस्ट को शेयर किया है। जिसमें बिल्डिंग की ग्राफिक तस्वीर है, जिस पर ‘बाबरी हॉस्पिटल’ लिखा हुआ है। इस पोस्ट में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट से मिली पांच एकड़ जमीन में सुन्नी वक्फ बोर्ड बाबरी हॉस्पिटल बनाएगा, जिसमें एम्स जैसी सुविधाएं होंगी। इस अस्पताल में एक पूरा फ्लोर बच्चों के लिए आरक्षित होगा, जिसमें चमकी बुखार सहित कई बीमारियों का इलाज होगा। डॉक्टर कफील खान को इस अस्पताल का प्रशासक बनाया जाएगा।
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ऐसे मैसेज वायरल होने के बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड के सैयद मोहम्मद शोएब ने कहा है कि बोर्ड ने निर्माण के बारे में अभी तक अंतिम निर्णय नहीं लिया है। अस्पताल, लाइब्रेरी, रिसर्च सेंटर वगैरह बनाने को लेकर प्रस्ताव जरूर हैं, अंतिम फैसला लेना अभी बाकी है। ऐसे में जो कुछ सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है, उसमें सच्चाई नहीं है। उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने एक 15 सदस्यीय ट्रस्ट बनाया है, जिसे इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट का नाम दिया गया है। ये ट्रस्ट अयोध्या के धन्नीपुर गांव में मिली इस 5 एकड़ जमीन पर मस्जिद और दूसरे निर्माण को लेकर फैसला लेगा।