किसान बिल पर कृषि मंत्री तोमर ने कांग्रेस को दिखाया आईना, बोले- कुछ लोग स्वार्थ के कारण कर रहे विरोध | Agriculture Minister Tomar showed Congress a mirror on the farmers bill

किसान बिल पर कृषि मंत्री तोमर ने कांग्रेस को दिखाया आईना, बोले- कुछ लोग स्वार्थ के कारण कर रहे विरोध

किसान बिल पर कृषि मंत्री तोमर ने कांग्रेस को दिखाया आईना, बोले- कुछ लोग स्वार्थ के कारण कर रहे विरोध

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:22 PM IST, Published Date : October 6, 2020/7:01 am IST

नई दिल्ली। देशभर में कृषि बिल को लेकर विपक्ष केंद्र सरकार पर लगातार हमलावर है। इस बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बिल से जुड़ी जानकारी दी है।

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कृषि मंत्री ने किसान बिल की तारीफ करते हुए मोदी सरकार को दूसरी सरकार से काफी बेहतर बताया है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग स्वार्थ के कारण उसका विरोध करते हैं। 2019 के कांग्रेस का घोषणा पत्र में साफ लिखा है। हम सविंदा खेती को प्रतोत्साहित करेंगे। नीति आयोग में जब मीटिंग हुई थी
कृषि सुधार के दृष्टि से 10 मुख्यमंत्री की कमेटी बनाई थी, लेकिन अब उसका विरोध कर रहे हैं। कांग्रेस का या तो मेनिफेस्टो जूठा था या आप जो कर रहे हो, वो झूठा है। नरेंद्र सिंह तोमर ने आगे कहा कि मैं कांग्रेस को कहना चाहता हूं.. कांग्रेस के दुष्प्रचार से कुछ नहीं होने वाला है।

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किसान बिल पर कृषि मंत्री की बड़ी बातें

कृषि क्षेत्र में सुधार और किसानों की आय दोगुना करने का संकल्प प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनडीए सरकार के प्रथम कार्यकाल में 2014 में ही ले लिया था और तभी से यह सिलसिला लगातार जारी है। कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) कानून, 2020 किसानों को उनकी उपज के विक्रय की स्वतंत्रता प्रदान करता है। आजादी के 70 साल बाद भी किसान ही एकमात्र ऐसा उत्पादक है, जो अपने उत्पाद को सिर्फ स्थानीय मंडी में बेचने के लिए बाध्य था। इस कानून से उसे मंडी से आजादी मिल गई है, अब किसान अपनी फसल देश में किसी भी स्थान और किसी भी माध्यम से बेच सकता है। इससे किसानों को उसकी फसल के उचित मूल्य तो मिलेंगे ही, परिवहन लागत कम होने और मंडी टैक्स बचने से उसकी आय भी बढ़ेगी। मंडिया और एपीएमसी एक्ट पूर्व की तरह कार्य करते रहेंगे। अब मंडिया भी अपने अधोसरंचना विकास के लिए प्रोत्साहित होंगी।

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इसी तरह कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण ) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून, 2020 का उद्देश्य किसानों को व्यापारियों, कंपनियों, प्रसंस्करण इकाइयों, निर्यातकों से सीधे जोड़ना है। कृषि करार के माध्यम से बुआई से पूर्व ही किसान को उसकी उपज के दाम निर्धारित हो जाने से किसानों को प्रत्येक परिस्थिति में लाभकारी मूल्य मिलेंगे। यहां यह भी स्पष्ट करना चाहूंगा कि दाम बढ़ने पर किसान को इस कानून के तहत न्यूनतम मूल्य के साथ अतिरिक्त लाभ भी मिलेगा। इसी तरह आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 के तहत अनाज, दलहन तिलहन, प्याज और आलू आदि को अत्यावश्यक वस्तु की सूची से हटाने का प्रावधान किया गया है। इससे भंडारण और प्रसंस्करण की क्षमता में वृद्धि होगी और किसान बाजार में उचित मूल्य आने पर अपनी फसल को बाजार में बेंच सकेगा। तीनों ही कानून किसानों की आय को बढ़ाने की दिशा में प्रधानमंत्री के नेतृत्व में लिए गए क्रांतिकारी कदम हैं। इनके सुखद परिणाम भविष्य में दिखना तय है।

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आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून, 2020 के तहत यह प्रावधान किया गया है कि अपवाद स्थिति, जिसमें 50 प्रतिशत से ज्यादा मूल्य वृद्धि शामिल है, को छोड़कर इन उत्पादों को स्टॉक लिमिट से मुक्त किया गया है। जाहिर है कि एक सीमा से ज्यादा कीमत बढ़ने और अन्य परिस्थितियों में सरकार के पास पूर्व की तरह नियंत्रण की सभी शक्तियां मौजूद रहेंगी। ऐसे में कालाबाजारी और जमाखोरी रोकने के न केवल प्रावधान हैं, बल्कि सरकारी हस्तक्षेप भी इस कानून में रखा गया है।

विपक्ष का आरोप 

कृषि क्षेत्र में सुधार के उद्देश्य से बनाए गए नए कानूनों में सिर्फ और सिर्फ किसानों के हित ही निहित हैं। यह शंका निर्मूल है कि इससे बड़ी कंपनियों और निजी क्षेत्र को फायदा होगा। हमारा उद्देश्य यह है कि निजी निवेश भी गांव और किसान तक पहुंचे, इससे बाजार में प्रतिस्पर्धा खड़ी होगी और उसका प्रत्यक्ष लाभ किसान को मिलेगा। दोनों विधेयकों में केवल किसानों के हितों के सरंक्षण पर ही ध्यान दिया गया है।

कुछ राजनीतिक दल अपने लाभ के लिए इस तरह की बातें कर रहे हैं। किसान पहले की तरह स्वतंत्र हैं, सिर्फ उन्हें उपज के उचित दाम दिलाने के लिए अतिरिक्त व्यवस्थाएं की गई हैं। नए प्रावधानों से सप्लाई चेन मजबूत होगी। कटाई के बाद अनाज, फल, सब्जियों का जो नुकसान होता था, वह कम होगा। सप्लाई चेन छोटी एवं व्यवस्थित होने से किसान और उपभोक्ताओं का फायदा होगा ।

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कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून के तहत विवाद की स्थिति में सिर्फ 30 दिन में उसके निपटारे का प्रावधान स्थानीय स्तर पर ही रखा गया है। इसके पीछे उद्देश्य यही है कि कोर्ट-कचहरी के चक्कर किसान को न काटने पड़े और एक तय अवधि में ही उसके विवाद का हल हो जाए। यहां मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि यह व्यवस्था पेचीदी नहीं, बल्कि विवाद को सरलता से हल करने वाली है। किसानों को इस पर भरोसा है। जो लोग प्रश्न उठा रहे हैं, उनके पीछे उनके राजनीतिक स्वार्थ हैं। यही प्रावधान कांग्रेस अपने घोषणा-पत्र में लेकर आई थी, लेकिन किसी दबाव और इच्छाशक्ति की कमी के कारण लागू नहीं कर पाई। 3 दिन के भीतर किसान को भुगतान का प्रावधान पहले किसी कानून में नहीं था।

कृषि मंत्री ने कहा कि एमएसपी की व्यवस्था जारी थी, जारी है और भविष्य में भी जारी रहेगी। इन कानूनों का एमएसपी से कोई संबंध नहीं है। किसान को अब स्वतंत्रता है कि वह मंडी में एमएसपी पर अपना अनाज बेचे या बाजार में। फल-सब्जी वाला किसान केवल मंडी जाकर ही अपनी उपज बेचने को क्यों विवश हो? इन कानूनों से फार्म टु फोर्क व्यवस्था भी प्रोत्साहित होगी।