नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर में मारा गया हिजबुल मुजाहिदीन का टॉप कमांडर आतंकी रियाज नायकू का शव परिवार वालों को नहीं सौंपा जाएगा। प्रशासन ही उसके अंतिम संस्कार की कार्रवाई पूरी करेगा।
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घाटी में अक्सर पाकिस्तानी आतंकवादी के मरने के बाद उसके जनाजे में बड़ी तादाद में लोग इकट्ठा हुए थे। उसके बाद ये सख्त फैसला लिया गया है। सेना और प्रशासन दोनों का ही मानना था कि मारे गए आतंकवादी के जनाजे का इस्तेमाल नई भर्तियों के लिए किया जाता है। जनाजे में आतंकवादी भी शामिल होते हैं और स्थानीय युवाओं को भड़का कर आतंकवादी बनने के लिए उकसाया जाता है।
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आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में ये एक बड़ा फैसला है ताकि आतंकवादियों को हीरो बनाने का सिलसिला बंद किया जा सके। पहले भी विदेशी आतंकवादियों के मामले में प्रशासन कई बार यही तरीका अपनाता रहा है।
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बता दें खुद रियाज नायकू भी ऐसे ही एक जनाजे में शामिल हुआ था और उसने राइफल से फायरिंग भी की थी. सेना और प्रशासन इसे सिरे से बंद करना चाहते हैं। इसलिए अब किसी आतंकवादी का शव उसके परिवार वालों को नहीं दिया जाएगा। घरवालों के मांगने पर उसके डीएनए सैंपल के जरिए उसके मरने की पुष्टि कर दी जाएगी।
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