उत्तर प्रदेश। यूपी के बांदा में तैनात महिला जज ने चीफ जस्टिस से इच्छा मृत्यु की गुहार लगाई है। इतना ही नहीं सीजेआई को चिट्ठी लिखकर अपनी दास्तां सुनाई है। महिला जज ने कहा कि पत्र को लिखने का उद्देश्य मेरी कहानी बताने और प्रार्थना करने के अलावा कुछ और नहीं है। महिला जज ने बताया है कि उनके साथ काफी अपमानजनक बर्ताव किया गया है जिससे वो काफी आहत हैं, अब वो मरना चाहती हैं जिसकी उन्हें इजाजत दी जाए। वहीं, सीजेआई ने इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट से रिपोर्ट मांगी है।
चिट्ठी में लिखी ये बातें
महिला जज ने चिट्ठी में लिखा की “मैं बहुत उत्साह के साथ न्यायिक सेवा में शामिल हुई, सोचा था कि आम लोगों को न्याय दिला पाऊंगी। महिला जज ने ये भी कहा, कि मैने भारत में काम करने वाली महिलाओं को भी संदेश दिया और कहा कि किसी भी तरह के उत्पीड़न के साथ जीना सीखें। लेकिन, मुझे क्या पता था कि न्याय के लिए हर दरवाजे का भिखारी बना दिया जाएगा।” यह हमारे जीवन की सच्चाई है, कोई नहीं सुनता। शिकायत करने पर प्रताड़ना मिलेगी। उन्होंने आगे लिखा, ‘मुझे न्याय के लिए केवल 8 सेकंड मिले, मैं अपने लिए निष्पक्ष जांच नहीं करा पाई, अगर कोई महिला सिस्टम से लड़ने की सोचती है तो यह गलत है, मुझे एक जज तौर पर यह महसूस हुआ है।’
क्या है पूरा मामला
आरोप है कि बाराबंकी में तैनाती के दौरान महिला सिविल जज को प्रताड़ना से गुजरना पड़ा। जिला जज पर शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना का आरोप है। उन्होंने आरोप लगाया कि रात में भी जिला जज से मिलने के लिए कहा गया। मामला सितंबर 2022 का है। प्रताड़ना के बाद उन्होंने हाईकोर्ट से लेकर विभाग तक को पत्र लिखा, 1000 से ज्यादा मेल किए, फिर एक जांच कमेटी बनाई गई। हालांकि, जांच 3 महीने में पूरी हो जानी चाहिए थी, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई। दिल्ली में मुझे केवल 8 सेकंड मिले और मेरी याचिका खारिज कर दी गई। ऐसे में मेरे पास अब कोई और रास्ता नहीं है। इसलिए मैने चीफ जस्टिस से इच्छा मृत्यु की गुहार लगाई है।
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