After Gyanvapi Masjid, now Shahi Idgah will also be surveyed! Hearing will

ज्ञानवापी मस्जिद के बाद अब शाही ईदगाह का भी होगा सर्वे! 1 जुलाई को होगी सुनवाई

उत्तर प्रदेश में इन दिनों ज्ञानवापी मस्जिद और ताज महल के बंद कमरों के सर्वे करवाने मामले ने तूल पकड़ा हुआ है। वहीं, इन मामलो के बीच अब

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:07 PM IST
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Published Date: May 13, 2022 4:17 pm IST

मथुरा। उत्तर प्रदेश में इन दिनों ज्ञानवापी मस्जिद और ताज महल के बंद कमरों के सर्वे करवाने मामले ने तूल पकड़ा हुआ है। वहीं, इन मामलो के बीच अब मथुरा में स्थित शाही ईदगाह की सर्वे की भी मांग तेज हो गई है। मनीष यादव नाम के युवक ने कोर्ट में शाही ईदगाह का सर्वे करवाने के लिए याचिका दायर की है। कोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार कर लिया है। कोर्ट अब शाही ईदगाह का वीडियोग्राफी सर्वे कराने की याचिका पर 1 जुलाई को सुनवाई करेगा।>>*IBC24 News Channel के WhatsApp  ग्रुप से जुड़ने के लिए Click करें*<<

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चार महीने में होगा मामले का निस्तारण

हाईकोर्ट ने इस मामले का निस्तारण 4 महीने के अंदर करने का आदेश दिया है। एडवोकेट महेंद्र प्रताप सिंह और मनीष यादव की याचिकाओं पर 1 जुलाई को सुनवाई होगी। वहीं, सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत ने 21 जुलाई को सुनवाई की तारीख दी है।

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हाईकोर्ट के आदेश के बाद लोगों में उत्साह

शाही ईदगाह मामले का निस्तारण 4 महीने में करने के हाईकोर्ट के आदेश से मथुरा के लोगों में ख़ुशी का माहौल है। साधु, संत, धर्माचार्य और याचिकाकर्ता चाहते हैं कोर्ट इस मामले में जल्द सुनवाई करके फैसला सुनाए। धर्माचार्य नागेंद्र महाराज ने कहा कि वह कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी के सर्वे के आदेश के बाद अब मथुरा के शाही ईदगाह का सर्वे भी कोर्ट द्वारा कराए जाए, साथ ही इस मामले को जल्द निपटाया जाए।

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श्रीकृष्ण के वंशज होने का दावा करने वाले मनीष यादव ने शुक्रवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में याचिका दायर की है। इस याचिका में मनीष यादव ने किसी एडवोकेट को कमिश्नर नियुक्त करके शाही ईदगाह की वीडियोग्राफी करा कर रिपोर्ट मांगे जाने की मांग की है।

क्या लिखा है याचिका में

मनीष यादव की तरफ से कोर्ट में दी गई लिखा है कि शाही ईदगाह में प्राचीन शिलालेख और पौराणिक साक्ष्य मौजूद हैं, जो ईदगाह में दबा दिए गए हैं। पौराणिक साक्ष्यों को गायब कर दिया गया है। इस स्थिति को अदालत के समक्ष लाना आवश्यक है। किसी वरिष्ठ एडवोकेट को कमिश्नर नियुक्त करके मौके की रिपोर्ट मंगवाई जाए। प्रार्थना पत्र में मनीष यादव ने अंदेशा जताया है कि अगर कमीशन जारी नहीं किया जाता है तो प्रतिवादीगण हिंदू निशानियों को मिटा सकते हैं। उन्होंने लिखा है कि प्रतिवादीगण वाराणसी के ज्ञानवापी केस से प्रभावित होकर साक्ष्य मिटा सकते हैं।