Adivasi Jamin Kharedi Vikri

Adivasi Jamin Kharedi Vikri: इस क्षेत्र में रहने वाले आदिवासीयों की जमीन भी खरीद सकेंगे सामान्य वर्ग के लोग, रजिस्ट्री में नहीं आएगी दिक्कत, हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

Adivasi Jamin Kharedi Vikri: इस क्षेत्र में रहने वाले आदिवासीयों की जमीन भी खरीद सकेंगे सामान्य वर्ग के लोग, रजिस्ट्री में नहीं आएगी दिक्कत, हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

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Modified Date: August 26, 2024 / 01:46 PM IST
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Published Date: August 26, 2024 1:46 pm IST

भुवनेश्वर: Adivasi Jamin Kharedi Vikri:  छत्तीसगढ़, मध्सप्रदेश, ओडिश और झारखंड ऐसे राज्य हैं, जहां आदिवासियों की संख्या बहुतायत है। इन राज्यों में कई ऐसे क्षेत्र भी हैं, जहां सिर्फ आदिवासी समुदाय के लोग ही मिलेंगे। आदिवासी समुदाय को शोषण से बचाने के लिए सरकार ने पहले ही ये नियम बना रखा है कि आदिवासियों की जमीन अन्य वर्ग के लोग नहीं खरीद सकेंगे। लेकिन अब ओडिशा हाईकोर्ट ने आदिवासियों की जमीन की खरीद के लिए अन्य वर्गों के रास्ते खोल दिए हैं। हालांकि हाईकोर्ट ने ये फैसला सिर्फ शहरी क्षेत्रों में स्थित जमीन के लिए लिया गया है जो खेती योग्य नहीं है।

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​Adivasi Jamin Kharedi Vikri:  मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने यदि कोई व्यक्ति शहरी क्षेत्र में रहता है और उसकी जमीन अब खेती के लायक नहीं है ता वह अपनी जमीन किसी भी वर्ग के व्यक्ति को बेच सकता है। इसके लिए सब-रजिस्टार मना नहीं करता है। हालांकि आदिवासी शख्स को अपनी जमीन बेचने के लिए तहसीलदार की रिपोर्ट अनिवार्य होगी। हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में ओडिशा भूमि सुधार अधिनियम 1960 की धारा 22 लागू नहीं होंगे।

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उच्च न्यायालय ने कहा है कि ऐसी भूमि केवल शहरी क्षेत्र में शामिल हो जाने से धारा 22 लगाने से मुक्त नहीं हो पाएंगी। इसके लिए अधिकृत राजस्व प्राधिकरण को जमीन के संबंध में एक जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी कि यह जमीन किस उद्देश्य के लिए व्यवहार उपयोगी है। संबलपुर नगरपालिका में घरबाड़ी भूमि के मुद्दे पर सभी मामले दर्ज किए गए हैं, संबंधित क्षेत्र के अधिकृत राजस्व प्राधिकरण या तहसीलदार को भूमि की उपयोगिता के मुद्दे पर अपनी राय देने के लिए हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है।

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कोर्ट ने कहा कि आवेदक तहसीलदार से इसके लिए अनुरोध करेंगे। इसके बाद तहसीलदार प्रत्येक भूमि की उपयोगिता के संदर्भ में 60 दिनों के अंदर अपनी राय देंगे कि वर्तमान स्थिति में, जमीन कृषि उद्देश्य में व्यवहार उपोयगी है या नहीं। राजस्व अधिकारियों की राय के आधार पर, आवेदक फिर से भूमि बिक्री विलेख के पंजीकरण के लिए पंजीकरण अधिकारी से संपर्क कर सकता है। हाईकोट के न्यायमूर्ति बीपी राउतराय की खंडपीठ ने हेमंत नायक और 60 अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया है।

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दरअसल एसटी श्रेणी से संबंधित याचिकाकर्ता ने अपनी घरबाड़ी भूमि को एक जनरल कैटेगरी के खरीदार को बेचना चाह रहा था। दोनों के बीच पूरी डील हो चुकी थी, लेकिन जब जमीन की रजिस्ट्री के लिए उप-पंजीयक कार्यालय आवेदन किया गया तो सब-रजिस्ट्रार ने रजिस्ट्री करने से इंकार कर दिया। सब-रजिस्ट्रार ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि राजस्व प्राधिकरण की अनुमति नहीं थी।

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