नयी दिल्ली, 27 जून (भाषा) संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में बृहस्पतिवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान द्रौपदी मुर्मू की ओर से आपातकाल का उल्लेख किए जाने पर सत्ता पक्ष ने कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए ‘शर्म करो’ के नारे लगाए। वहीं देश की प्रथम नागरिक मुर्मू द्वारा अपने अभिभाषण में युवाओं और पूर्वोत्तर का जिक्र किए जाने पर विपक्षी सदस्यों ने राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) परीक्षा में हुई कथित धांधली और मणिपुर जैसे मुद्दों को लेकर सरकार पर पलटवार किया।
राष्ट्रपति के करीब 55 मिनट के अभिभाषण के दौरान सत्ता पक्ष के सदस्यों ने करीब 180 बार मेजें थपथपायीं तो विपक्षी सदस्यों ने भी पलटवार का कोई मौका नहीं गंवाया। दोनों ने नारों के माध्यम से एक-दूसरे पर तंज भी कसे। इस दौरान ‘‘यूपी के दो लड़कों’’ (राहुल गांधी और अखिलेश यादव) के बीच अच्छा तालमेल भी देखने को मिला।
अठारहवीं लोकसभा में पहली बार हुई दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति मुर्मू के अभिभाषण के दौरान सत्ता पक्ष के सदस्यों ने तकरीबन 180 बार मेजें थपथपायीं और कई बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुद इसका नेतृत्व किया।
सत्ता पक्ष की ओर से सबसे अधिक समय तक मेजें उस वक्त थपथपाई गईं जब राष्ट्रपति ने 1975 के आपातकाल का उल्लेख किया। सत्ता पक्ष के सदस्यों ने इस दौरान ‘शेम, शेम’ के नारे लगाए। उस वक्त विपक्षी सदस्य अपने स्थानों पर शांति से बैठे हुए थे। हालांकि कुछ सदस्य इस दौरान ‘आज तो अघोषित आपातकाल है’ कहते सुने गए।
राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने अभिभाषण में 1975 में लागू आपातकाल का उल्लेख किया और इसे ‘संविधान पर सीधे हमले का सबसे बड़ा एवं काला अध्याय’ करार देते हुए कहा कि ऐसे अनेक हमलों के बावजूद देश ने असंवैधानिक ताकतों पर विजय प्राप्त करके दिखाई।
मुर्मू ने आपातकाल का जिक्र ऐसे समय किया है जब विपक्ष, विशेषकर कांग्रेस लंबे समय से लगातार यह आरोप लगा रही है कि मोदी सरकार लोकतंत्र एवं संविधान पर हमले कर रही है तथा पिछले 10 वर्षों से देश में ‘अघोषित आपातकाल’ है।
हालिया लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों को यह विमर्श खड़ा करने में सफलता मिली थी कि मोदी सरकार ‘400 पार’ का नारा इसलिए लगा रही है ताकि वह संविधान को बदल सके।
संयुक्त बैठक के दौरान परंपरा के अनुसार, राष्ट्रपति के दाहिनी ओर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और बाईं ओर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला मंच पर आसीन थे।
प्रधानमंत्री मोदी पहली पंक्ति में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष और राज्यसभा में सदन के नेता जे पी नड्डा के साथ बैठे नजर आए जबकि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष व राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे के साथ बैठे थे।
कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी भी पहली पंक्ति में पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा के बगल में बैठी थीं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह एक साथ पहली पंक्ति में बैठे जबकि उनके निकट ही विदेश मंत्री एस जयशंकर और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बैठे थे।
केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगी एच डी कुमारस्वामी के साथ बैठे थे। इसी प्रकार संसदीय कार्यमंत्री किरेन रीजीजू, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश के साथ पहली पंक्ति में बैठे थे। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल विपक्षी नेताओं- तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव और द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) की के कनिमोझी के साथ पहली पंक्ति में बैठे थे।
सपा अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव राष्ट्रपति का अभिभाषण आरंभ होने के दौरान अयोध्या के सांसद अवधेश प्रसाद सहित अन्य सांसदों के साथ 10वीं पंक्ति में बैठे हुए थे। हालांकि, कुछ समय बाद राहुल गांधी उन्हें ढूंढते नजर आए। उन्होंने जब देखा कि अखिलेश पीछे बैठे हुए हैं तो उन्होंने उन्हें इशारे से आगे बुलाया और अपनी पीछे वाली पंक्ति (दूसरी) में तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ’ब्रायन के साथ उन्हें बिठाया।
अखिलेश ने वहां पहुंचते ही पहले राहुल गांधी से और फिर डेरेक से हाथ मिलाया। तीनों नेताओं को कुछ देर आपस में बातचीत करते देखा गया। अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले दूसरी पंक्ति में गोयल के पीछे बैठी थीं।
मुर्मू ने अपने संबोधन के दौरान जब कहा कि उनकी सरकार देश के युवाओं को बड़े सपने देखने और उन्हें साकार करने में सक्षम बनाने के लिए माहौल तैयार करने का काम कर रही है तो उसी वक्त कई विपक्षी सदस्यों को ‘नीट’ परीक्षा में कथित अनियमितताओं को लेकर नारे लगाते देखा गया।
वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री दयानिधि मारन सहित द्रमुक के कई सदस्य इस दौरान जोर-जोर से ‘नीट-नीट’ बोलते हुए सुने गए जबकि सपा, राजग और कांग्रेस के कुछ सदस्य ‘अग्निपथ’ योजना का जिक्र करते नजर आए।
इन मुद्दों पर सदस्यों की टोका-टोकी पर राष्ट्रपति ने उनसे कहा, ‘‘सुनिए…सुनिए।’’
इसके बाद उन्होंने सरकारी भर्तियों और परीक्षाओं में शुचिता और पारदर्शिता को बहुत जरूरी करार देते हुए कहा, ‘‘सरकार पेपर लीक होने की हालिया घटनाओं की निष्पक्ष जांच करने और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है।’’
राष्ट्रपति की इस टिप्पणी के दौरान मारन ने ऊंची आवाज में कहा, ‘‘जस्ट एन आईवाश (लीपापोती)’’।
कुछ राज्यों में पेपर लीक की पूर्व की घटनाओं का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने इस संदर्भ में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्रीय स्तर पर कड़े कदम उठाने की आवश्यकता भी जताई।
मुर्मू ने जब अपने संबोधन के दौरान पूर्वोत्तर के राज्यों के विकास और वहां शांति बहाली के अलावा महिला सशक्तीकरण के लिए सरकार की ओर से उठाए गए कदमों की सराहना की तो विपक्षी सदस्यों ने सरकार को मणिपुर हिंसा की याद दिलाते हुए ‘मणिपुर-मणिपुर’ के नारे लगाए।
अभिभाषण समाप्त होने के बाद सत्ता पक्ष के कुछ सदस्यों ने ‘‘जय श्री राम’’ के तो विपक्षी सदस्यों ने ‘‘जय संविधान’’ के नारे लगाए।
राष्ट्रपति के सदन से जाने के बाद कांग्रेस सहित कई अन्य विपक्षी दलों के नेतागण सोनिया गांधी के पास गए और उनसे बातचीत की। राजद की मीसा भारती ने पैर छूकर उन्हें प्रणाम किया। तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा और डेरेक को भी सोनिया गांधी से बातचीत करते देखा गया।
भाषा ब्रजेन्द्र हक ब्रजेन्द्र हक मनीषा अविनाश
अविनाश
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