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अहमदाबाद, चार अक्टूबर (भाषा) केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को अहमदाबाद जिला सहकारी (एडीसी) बैंक के प्रबंधन से जिले में स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा संबंधी सेवाएं उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी लेने को कहा।
पूर्व में बैंक के अध्यक्ष रह चुके शाह ने अधिकारियों से इन पहलुओं पर एक विस्तृत परियोजना तैयार करने और अन्य सहकारी संस्थाओं की मदद से इसे जमीनी स्तर पर लागू करने का प्रयास करने को कहा।
शाह गांधीनगर में महात्मा मंदिर कन्वेंशन सेंटर में बैंक की शताब्दी के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में बैंक और अन्य सहकारी संस्थाओं से जुड़े लोगों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘‘एडीसी बैंक को अन्य सहकारी संस्थाओं की मदद से अहमदाबाद जिले में स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा संबंधी सेवाएं उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए और केंद्र तथा राज्य सरकारों को जिम्मेदारी से मुक्त करना चाहिए।’’
शाह ने कहा कि बैंक को इन तीनों पहलुओं पर एक विस्तृत परियोजना तैयार करनी चाहिए तथा अन्य सहकारी संस्थाओं की मदद से इसे जमीनी स्तर पर लागू करने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि प्रबंधन आवश्यक कदम उठाएगा तथा उन्हें मदद का आश्वासन दिया।
उन्होंने कहा कि एडीसी बैंक 100 करोड़ रुपये के वार्षिक लाभ और शून्य गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों के साथ ‘‘भारत का सबसे मजबूत जिला सहकारी बैंक’’ बनकर उभरा है।
शाह ने अलग से सहकारिता मंत्रालय बनाने संबंधी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के फैसले की सराहना की। उन्होंने कहा, ‘‘अलग मंत्रालय न होने की वजह से इस क्षेत्र में असमान विकास हुआ है। लोग अलग मंत्रालय की मांग कर रहे थे क्योंकि कृषि मंत्रालय में एक संयुक्त सचिव 70 साल से इस विशाल क्षेत्र के मामलों को संभाल रहा था। वह प्रधानमंत्री मोदी ही थे जिन्होंने एक अलग मंत्रालय बनाकर सहकारिता आंदोलन को नया जीवन दिया।’’
उन्होंने कहा कि भारत जैसे बड़े देश के लिए आर्थिक विकास ही विकास का एकमात्र मापदंड नहीं हो सकता।
शाह ने कहा, ‘‘कोई भी देश केवल आर्थिक विकास करके प्रगति नहीं कर सकता। मेरा दृढ़ विश्वास है कि सहकारिता आंदोलन से 130 करोड़ लोगों का कल्याण सुनिश्चित हो सकता है। यह आंदोलन आज 120 साल पहले की तुलना में अधिक प्रासंगिक है।’’
शाह ने एक उदाहरण देते हुए कहा कि अमूल, जिसका वार्षिक कारोबार 60,000 करोड़ रुपये का है, गुजरात में लगभग 35 लाख महिलाओं को रोजगार प्रदान करता है और उनमें से कुछ इस संस्था को दूध की आपूर्ति करके लाखों रुपये कमाती हैं।
भाषा
देवेंद्र पवनेश
पवनेश
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