नयी दिल्ली, 19 जनवरी (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अंतरिक्ष में भारत का पहला निजी उपग्रह समूह लॉन्च किए जाने और दो उपग्रहों की सफल ‘डॉकिंग’ सहित विज्ञान के क्षेत्र में हासिल हालिया उपलब्धियों को गिनाते हुए रविवार को कहा कि ये साबित करता है कि भविष्य की चुनौतियों का समाधान देने के लिए देश के वैज्ञानिक और नवोन्मेषक कितनी दूरदृष्टि रखते हैं।
प्रधानमंत्री ने यह बात आकाशवाणी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 118वीं कड़ी और साल 2025 की पहली कड़ी में अपने विचार साझा करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि साल 2025 की शुरुआत में ही भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में कई ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की हैं और उन्हें यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि अंतरिक्ष के क्षेत्र की एक भारतीय स्टार्टअप ‘पिक्सेल’ ने भारत का पहला निजी उपग्रह कॉन्सटेलेशन ‘फायर-फ्लाई’ सफलतापूर्वक लॉन्च किया है।
उन्होंने कहा कि यह दुनिया का सबसे उच्च विभेदन वाला निजी इमेजिंग सैटेलाइट कॉन्स्टेलेशन है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस उपलब्धि ने न केवल भारत को आधुनिक अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में अग्रणी बनाया है बल्कि यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ये सफलता हमारे निजी अंतरिक्ष क्षेत्र की बढ़ती ताकत और नवोन्मेष का प्रतीक है।’’
प्रधानमंत्री ने इस उपलब्धि के लिए पिक्सेल की टीम, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और इन-स्पेस को पूरे देश की ओर से बधाई दी।
पिक्सेल ने गत बुधवार को अपने ‘फायर-फ्लाई’ कॉन्स्टेलेशन के पहले 3 सेटेलाइट को एलन मस्क की कंपनी ‘स्पेसएक्स’ के फाल्कन-9 रॉकेट से प्रक्षेपित किया। अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य के वैंडेनबर्ग स्पेस फोर्स बेस से इनकी लॉन्चिंग हुई। ये उपग्रह पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले अंतरिक्ष पिंडों की निगरानी करेंगे।
प्रधानमंत्री ने पिछले दिनों दो उपग्रहों की सफल डॉकिंग का उल्लेख करते हुए कहा कि यह तकनीक अंतरिक्ष में अंतरिक्ष स्टेशन तक आपूर्ति सुनिश्चित करने और मिशन के सदस्यों के लिए अहम है।
उन्होंने कहा कि भारत ऐसा चौथा देश बना है, जिसने ये सफलता हासिल की है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे वैज्ञानिक अंतरिक्ष में पौधे उगाने और उन्हें जीवित रखने के प्रयास भी कर रहे हैं। इसके लिए इसरो के वैज्ञानिकों ने लोबिया के बीज को चुना। 30 दिसंबर को भेजे गए ये बीज अंतरिक्ष में ही अंकुरित हुए। ये एक बेहद प्रेरणादायक प्रयोग है जो भविष्य में अंतरिक्ष में सब्जियां उगाने का रास्ता खोलेगा। ये दिखाता है कि हमारे वैज्ञानिक कितनी दूर की सोच के साथ काम कर रहे हैं।’’
इसरो ने गत बृहस्पतिवार को ‘स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट’ (स्पेडेक्स) के तहत उपग्रहों की ‘डॉकिंग’ सफलतापूर्वक की। यह भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना सहित भविष्य के कई मिशनों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
उपग्रहों की सफल ‘डॉकिंग’ के साथ भारत, अमेरिका, रूस और चीन के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन गया है।
‘डॉकिंग’, अंतरिक्ष में दो उपग्रहों को जोड़ने की प्रक्रिया को कहते हैं। इसके बाद दोनों उपग्रहों के बीच चालक दल के सदस्यों, सामान और उपकरणों की आपूर्ति हो सकती है।
प्रधानमंत्री ने इस दौरान आईआईटी मद्रास की उस ‘प्रेरणादायक पहल’ का भी उल्लेख किया, जिसके तहत उसका एक्सटेम केंद्र अंतरिक्ष में विनिर्माण के लिए नई तकनीकों पर काम कर रहा है।
उन्होंने कहा कि यह केंद्र अंतरिक्ष में थ्री-डी प्रिंटेड सामग्री, मेटल फोम और ऑप्टिकल फाइबर जैसे तकनीकों पर शोध कर रहा है और बिना पानी के कंक्रीट निर्माण जैसी क्रांतिकारी विधियों को भी विकसित कर रहा है।
उन्होंने कहा कि यह पहल शोध भारत के गगनयान मिशन और भविष्य के अंतरिक्ष स्टेशन को मजबूती देगा और इससे विनिर्माण में आधुनिक प्रौद्योगिकी के भी नए रास्ते खुलेगें।
उन्होंने कहा, ‘‘ये सभी उपलब्धियां इस बात का प्रमाण है कि भारत के वैज्ञानिक और नवोन्मेषक भविष्य की चुनौतियों का समाधान देने के लिए कितने दूरदृष्टि वाले हैं। हमारा देश आज अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है।’’
उन्होंने इसके लिए भारत के वैज्ञानिकों, नवोन्मेषकों और युवा उद्यमियों को शुभकामनाएं दीं।
भाषा
ब्रजेन्द्र प्रशांत
प्रशांत
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