नई दिल्ली। दुनिया में दो मुंह वाले सांप बेहद दुर्लभ होते हैं। भारत के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत इन सांपों को दुर्लभ करार दिया गया है। साथ ही इनका इस्तेमाल तांत्रिक क्रियाओं के लिए किया जाता है। भारत में पाए जाने वाले ये सांप इतने दुर्लभ हैं कि मार्केट में एक सांप करोड़ों में बिकता है। हालांकि सरकार ने 1972 के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत इसे संरक्षित घोषित किया है। इसकी तस्करी करने वालों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है।
भारत के राजस्थान में मिलने वाला एक दोमुंहा सांप सबसे ज्यादा डिमांड में होता है। इनका वैज्ञानिक नाम रेड सैंड बोआ है। इस सांप की डिमांड प्राचीन मान्यताओं के कारण है।
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वैसे तो ये सांप राजस्थान के इलाकों में काफी मिलते हैं लेकिन कुछ मान्यताओं के कारण इनकी जमकर स्मगलिंग होती है। अगर कीमत की बात करें, तो इंटरनेशनल मार्केट में ये एक सांप 3 करोड़ से 25 करोड़ तक बिकता है।
कहा जाता है कि दोमुंहे सांप का इस्तेमाल तांत्रिक क्रियाओं के लिए किया जाता है। कुछ लोगों का कहना है कि इन सांपों का मांस खाने से शारीरिक शक्ति बढ़ती है। साथ ही इस सांप का मांस यौन शक्ति बढ़ाता है।
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इसके अलावा दोमुंहे सांप के मांस से एड्स जैसी बीमारी का भी इलाज संभव है, ऐसा कहा जाता है। हालांकि, ऐसा होता है या नहीं, इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। सिर्फ कहावतों और प्राचीन मान्यताओं की वजह से दोमुंहे सांप के मांस की तस्करी की जाती है।