नयी दिल्ली, 21 नवंबर (भाषा) दिल्ली-एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) के करीब 89 प्रतिशत स्कूली छात्रों ने बढ़ते जलवायु परिवर्तन पर अलग-अलग स्तर पर चिंता व्यक्त की और अधिकांश ने विश्व पर्यावरण दिवस मनाने जैसे सांकेतिक कदमों को खारिज कर दिया। एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) की रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
‘चिंतन एनवायरमेंट रिसर्च एंड एक्शन ग्रुप’ द्वारा विभिन्न सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमियों के 10 से 15 वर्ष की आयु के 423 विद्यार्थियों के बीच किए गए अध्ययन में जागरूकता और संसाधनों में गंभीर अंतर को रेखांकित किया गया है, जिसकी वजह से निम्न आय वर्ग असमान रूप से प्रभावित हो रहा है।
रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन को लेकर दिल्ली-एनसीआर के स्कूली छात्रों के बीच व्यापक चिंताओं का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि 89 प्रतिशत छात्रों ने अलग-अलग स्तर की चिंता व्यक्त की है।
‘द फ्यूचर वी वांट’ शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 87 प्रतिशत छात्र ‘जलवायु परिवर्तन’ शब्द से अवगत हैं, लेकिन उनकी समझ में असमानता है।
सर्वेक्षण में शामिल मध्यम और उच्च आय वर्ग के 97 प्रतिशत छात्रों ने कहा कि ‘अधिक ठोस और दैनिक कार्रवाई की आवश्यकता है।’
उन्होंने देशभर के संस्थानों में विश्व पर्यावरण दिवस समारोह जैसे प्रतीकात्मक आयोजनों को अस्वीकार कर दिया।
निम्न आय वाले परिवारों के लगभग 26 प्रतिशत छात्रों ने कहा कि उन्होंने कभी ‘जलवायु परिवर्तन’ शब्द नहीं सुना, जबकि मध्यम और उच्च आय वाले परिवारों के केवल दो प्रतिशत बच्चों ने ऐसा कहा।
भाषा जोहेब पारुल
पारुल
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