5G Spectrum Auctioning: मंगलवार 26 जुलाई, 2022 से 5जी स्पेक्ट्रम की निलामी की शुरुआत होने जा रही है। इस बार की निलामी बेहद दिलचस्प रहने वाली है। अडानी समूह की टेलीकॉम कंपनी अडानी डाटा नेटवर्क्स लिमिटेड (Adani Data Networks Ltd) भी इस निलामी में भाग लेकर टेलीकॉम सेक्टर में उतरने की तैयारी में है। चार कंपनियां 5जी स्पेक्ट्रम की निलामी में भाग लेने जा रही है। मौजूदा तीनों निजी टेलीकॉम कंपनी जिसमें रिलायंस जियो इंफोकॉम (Reliance Jio Infocomm) के अलावा भारती एयरटेल (Bharti Airtel) बिडिंग में भाग लेने जा रही है। कमजोर वित्तीय हालत के बाद भी वोडाफोन आइडिया ( Vodafone Idea) 5जी स्पेक्ट्रम के लिए बोली लगाने जा रही है।
दूरसंचार विभाग ( Department Of Telecommunication) ने प्री-क्वालीफाइड बिडर्स ( Pre-Qualified Bidders) की जो सूची जारी की है। उसके मुताबिक रिलायंस जियो ( Reliance Jio) ने दूरसंचार विभाग के पास 14,000 करोड़ रुपये बयाना रकम ( Earnest Money Deposit) के तौर पर जमा कराये हैं। भारती एयरटेल ने 5500 करोड़ रुपये जमा कराये हैं। वोडाफोन आइडिया ( Vodafone Idea) ने 2200 करोड़ रुपये जमा कराये हैं। अडानी डाटा नेटवर्स ने केवल 100 करोड़ रुपये जमा कराये हैं।
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जो भी कंपनी 5जी स्पेक्ट्रम निलामी में हासिल करेंगी उन्हें 20 सालों के लिए 5जी स्पेक्ट्रम आवंटित किया जाएगा। 4.3 लाख करोड़ रुपये के 72,097 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम की निलामी की जाएगी। कैबिनेट ने ट्राई द्वारा 5जी स्पेक्ट्रम की कीमतों की सिफारिश को मानते हुए निलामी की इजाजत दी थी। 5जी स्पेक्ट्रम में बोली लगाने वाली कंपनियों को कई प्रकार की रिआयत दी गई है। स्पेक्ट्रम निलामी में हासिल करने पर कोई अग्रिम भुगतान करने की जरुरत नहीं होगी। 20 किश्तों में हर वित्त वर्ष की शुरुआत में भुगतान करना होगा।
कई ब्रोकरेज हाउस का मानना है कि अडानी समूह के टेलीकॉम सेक्टर में भी कदम रखने से स्पेक्ट्रम हासिल करने की होड़ शुरू हो सकती है। हालांकि अडानी समूह ने निलामी में भाग लेने पर सफाई देते हुए कहा है कि वो आम उपोक्ताओं के लिए मोबाइल सेवा के क्षेत्र में नहीं उतरने जा रही है। बल्कि प्राइवेट नेटवर्क सोल्यूशन ( Private Network Solution) प्रदान करेगा। स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल हवाई अड्डों ( Airports) से लेकर अपने पोर्ट्स (Ports), पावर ट्रांसमिशन ( Power Transimmsion)के लिए सायबर सिक्योरिटी ( Cyber Security) प्रदान करने और अपने व्यवसायों के विस्तार करने के लिए एक निजी नेटवर्क के रूप में करेगा। हालांकि कई जानकारों को इस सफाई पर संदेह है।
बहरहाल अडानी समूह 5जी स्पेक्ट्रम (5G Spectrum) के निलामी में हिस्से लेने जा रही है। जिसके बाद माना जा रहा है टेलीकॉम सेक्टर में फिर से टैरिफ वार ( Tariff War) से लेकर ग्राहकों को छिनने की होड़ शुरू हो सकती है जैसा रिलायंस जियो ( Reliance Jio) के एंट्री के बाद देखने को मिला था।
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