4-time MLA Chennamaneni Ramesh is a German national, declares Telangana HC

Chennamaneni Ramesh is German National: भारत के इस विधानसभा सीट से 4 बार विधायक बन गया जर्मन नागरिक, किसी को नहीं थी खबर, अब हाईकोर्ट ने सुनाई सजा, लगाया लाखों रुपए का जुर्माना

Chennamaneni Ramesh is German National: भारत के इस विधानसभा सीट से 4 बार विधायक बन गया जर्मन नागरिक, किसी को नहीं थी खबर, अब हाईकोर्ट ने सुनाई सजा, लगाया लाखों रुपए का जुर्माना

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Modified Date: December 10, 2024 / 02:53 PM IST
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Published Date: December 10, 2024 2:50 pm IST

हैदराबाद: Chennamaneni Ramesh is a German national भारत के दक्षिण में बसे तेलंगाना से सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां हाईकोर्ट ने 4 बार विधायक रहे नेता को जर्मन नागरिक करार दिया है। मामला सामने आने के बाद सियासी गलियारे में हड़कंप मच गया है। मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा है कि भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के नेता चेन्नामनेनी रमेश जर्मन नागरिक हैं और उन्होंने वेमुलावाड़ा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया। इसके साथ ही विधायक पर कोर्ट ने 30 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है।

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Chennamaneni Ramesh is a German national अदालत ने कहा कि चेन्नामनेनी रमेश ने जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करके खुद को भारतीय नागरिक दिखाया। कोर्ट ने यह फैसला कांग्रेस के नेता आदी श्रीनिवास की ओर से दायर याचिका पर दिया। अदालत ने माना कि चेन्नामनेनी रमेश जर्मन दूतावास से ऐसे दस्तावेज अदालत के सामने पेश करने में फेल रहे कि वे अब उस देश (जर्मनी) के नागरिक नहीं हैं। अदालत ने रमेश पर 30 लाख रुपए का जुर्माना लगाया। इसमें से 25 लाख रुपये आदी श्रीनिवास को दिए जाएंगे। श्रीनिवास ने नवंबर 2023 में रमेश को विधानसभा चुनाव में हरा दिया था।

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अदालत के फैसले के बाद कांग्रेस नेता आदी श्रीनिवास ने X पर पोस्ट कर कहा, “पूर्व विधायक चेन्नामनेनी रमेश पर 30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया, वह जर्मन नागरिक के तौर पर झूठे दस्तावेजों के आधार पर विधायक चुने गए थे।”

बता दें कि रमेश वेमुलावाड़ा सीट से चार बार विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं। 2009 में उन्होंने टीडीपी के टिकट पर चुनाव जीता था जबकि 2010 से 2018 तक तीन बार बीआरएस के टिकट पर विधायक चुने गए। भारतीय कानून की बात करें तो यहां गैर-भारतीय नागरिक चुनाव नहीं लड़ सकते और वोट भी नहीं दे सकते।

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गौरतलब है कि साल 2020 में केंद्र सरकार ने तेलंगाना हाई कोर्ट को बताया था कि रमेश के पास जर्मन पासपोर्ट था और यह 2023 तक वैध था। इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आदेश जारी कर कहा था कि रमेश की भारतीय नागरिकता को समाप्त कर दिया जाए क्योंकि उन्होंने अपने आवेदन में जानकारी को छुपाया है। गृह मंत्रालय ने कहा था कि रमेश ने गलत बयान/तथ्यों को छिपाकर भारत सरकार को गुमराह किया है। अगर उन्होंने बताया होता कि आवेदन करने से पहले वे एक साल तक भारत में नहीं रहे थे तो मंत्रालय उन्हें नागरिकता नहीं देता।

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इसके बाद रमेश ने गृह मंत्रालय के आदेश को अदालत में चुनौती दी थी। अदालत ने उनसे कहा था कि वह एक हलफनामा दाखिल करें जिसमें इस बात की जानकारी दें कि उन्होंने अपना जर्मनी का पासपोर्ट सरेंडर कर दिया है और इस बात का भी सुबूत दें कि उन्होंने जर्मनी की नागरिकता छोड़ दी है। 2013 में अविभाजित आंध्र प्रदेश की हाई कोर्ट ने रमेश को उपचुनाव में मिली जीत को रद्द कर दिया था। इसके बाद रमेश सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे और वहां से हाई कोर्ट के आदेश पर स्टे की मांग की थी। स्टे के लगे रहने तक उन्होंने 2014 और 2018 का विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी। 2023 के चुनाव में वह हार गए थे।

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1. चेन्नामनेनी रमेश पर क्या आरोप हैं?

चेन्नामनेनी रमेश पर आरोप है कि उन्होंने जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करके खुद को भारतीय नागरिक दिखाया और वेमुलावाड़ा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा। अदालत ने यह भी कहा कि वह जर्मन नागरिक हैं और उनकी नागरिकता अभी तक वैध थी।

2. कोर्ट ने रमेश पर कितना जुर्माना लगाया है?

कोर्ट ने रमेश पर 30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। इसमें से 25 लाख रुपये कांग्रेस नेता आदी श्रीनिवास को दिए जाएंगे, जिन्होंने रमेश को 2023 के चुनाव में हराया था।

3. क्या रमेश ने अपनी जर्मन नागरिकता छोड़ी है?

अदालत ने रमेश से हलफनामा दाखिल करने को कहा है जिसमें यह जानकारी दी जाए कि उन्होंने अपना जर्मनी का पासपोर्ट सरेंडर कर दिया है और जर्मन नागरिकता छोड़ दी है।

4. क्या भारत में कोई विदेशी नागरिक चुनाव लड़ सकता है?

भारतीय कानून के अनुसार, विदेशी नागरिक चुनाव नहीं लड़ सकते और न ही वोट दे सकते हैं। रमेश के मामले में यह आरोप है कि उन्होंने जर्मन नागरिक होने के बावजूद चुनाव लड़ा।

5. इस मामले में आगे क्या हो सकता है?

रमेश ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश को अदालत में चुनौती दी थी, और अदालत के आदेश का पालन करते हुए उन्हें जर्मन नागरिकता छोड़ने का प्रमाण प्रस्तुत करना होगा।

 

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