एलएनजी का 20 वर्ष की अवधि का ग्रीनहाउस गैस 'दुष्प्रभाव' कोयले से 30 प्रतिशत अधिक : अध्ययन |

एलएनजी का 20 वर्ष की अवधि का ग्रीनहाउस गैस ‘दुष्प्रभाव’ कोयले से 30 प्रतिशत अधिक : अध्ययन

एलएनजी का 20 वर्ष की अवधि का ग्रीनहाउस गैस 'दुष्प्रभाव' कोयले से 30 प्रतिशत अधिक : अध्ययन

:   Modified Date:  October 4, 2024 / 06:23 PM IST, Published Date : October 4, 2024/6:23 pm IST

नयी दिल्ली, चार अक्टूबर (भाषा) खाना पकाने व बिजली संयंत्रों और उद्योगों में उपयोग होने वाली तरलीकृत प्राकृतिक गैस या एलएनजी 20 वर्ष की अवधि के परिदृश्य में कोयले की तुलना में लगभग एक तिहाई अधिक ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन करती है। एक नए अध्ययन में यह बात सामने आयी है।

एलएनजी का 100 वर्ष की अवधि में ग्रीनहाउस गैस दुष्प्रभाव कोयले के बराबर या उससे अधिक पाया गया।

कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन जैसे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन वायुमंडल में होते हैं और पर्यावरण पर इनका दुष्प्रभाव पड़ता है।

प्राकृतिक गैस (जो मुख्य रूप से मीथेन से बनी एक गंधहीन गैस है) को लगभग शून्य से 106 डिग्री सेल्सियस नीचे के तापमान पर तरल अवस्था में ठंडा करके तरलीकृत प्राकृतिक गैस या एलएनजी बनायी जाती है, जिससे गैस की मूल मात्रा 600 गुना कम हो जाती है। तरल होने के कारण एलएनजी को कुशलतापूर्वक और सुरक्षित रूप से जलमार्ग द्वारा एक जगह से दूसरी जगह भेजा जा सकता है।

अमेरिका के कॉर्नेल विश्वविद्यालय में पारिस्थितिकी और पर्यावरण जीव विज्ञान के प्रोफेसर रॉबर्ट होवार्थ ने बताया कि यद्यपि एलएनजी को कोयले की तुलना में अधिक स्वच्छ, कम कार्बन वाला विकल्प माना जाता है, लेकिन जब प्रसंस्करण और नौपरिवहन को ध्यान में रखा जाता है तो इसका ग्रीनहाउस गैस दुष्प्रभाव कोयले की तुलना में लगभग एक तिहाई खराब होता है।

एनर्जी साइंस एंड इंजीनियरिंग पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के लेखक होवार्थ ने कहा, ‘एलएनजी शेल गैस (प्राकृतिक गैस का एक प्रकार) से बनाई जाती है और यह बनाने के लिए आपको इसे तरल रूप में ठंडा करना होगा और फिर बड़े टैंकरों में बाजार तक ले जाना होगा। इसके लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। हालांकि प्राकृतिक गैस और शेल गैस दोनों ही जलवायु के लिए खराब हैं, लेकिन एलएनजी इससे भी अधिक खराब है।’

लेखक ने लिखा, ‘कुल मिलाकर 20 वर्षों की ‘ग्लोबल वार्मिंग आशंका’ का विश्लेषण करने पर ईंधन स्रोत के रूप में एलएनजी के लिए ग्रीनहाउस गैस दुष्प्रभाव कोयले की तुलना में 33 प्रतिशत अधिक है।’

इसके अलावा होवर्थ ने लिखा, ‘यहां तक ​​कि 100 वर्ष (ग्लोबल वार्मिंग आशंका) की समय-सीमा पर भी विचार किया जाए, जो मीथेन के कारण होने वाले जलवायु संबंधी नुकसान को बहुत कम करके आंकती है, तो भी एलएनजी का प्रभाव कोयले के बराबर या उससे अधिक है।’

भाषा

शुभम माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)