1984 दंगे: तीन आरोपियों को बरी किए जाने के फैसले को चुनौती देने के लिए सरकार को नहीं मिली अनुमति |

1984 दंगे: तीन आरोपियों को बरी किए जाने के फैसले को चुनौती देने के लिए सरकार को नहीं मिली अनुमति

1984 दंगे: तीन आरोपियों को बरी किए जाने के फैसले को चुनौती देने के लिए सरकार को नहीं मिली अनुमति

:   Modified Date:  October 24, 2024 / 04:40 PM IST, Published Date : October 24, 2024/4:40 pm IST

नयी दिल्ली, 24 अक्टूबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने 1984 के सिख दंगों के एक मामले में 27 साल से अधिक की देरी के बाद तीन आरोपियों को बरी किए जाने के फैसले को चुनौती देने की सरकार को अनुमति देने से इनकार कर दिया है।

न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह और न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ ने 21 अक्टूबर को कहा कि उसे जान-माल के बड़े पैमाने पर हुए नुकसान के बारे में जानकारी है, लेकिन वह अभियोजन पक्ष द्वारा अपील दायर करने में किये गये ‘‘लंबे विलंब’’ की अनदेखी नहीं कर सकती।

अभियोजन पक्ष ने ‘‘अपील की अनुमति’’ मांगते हुए अदालत से आग्रह किया कि हत्या और दंगा मामले में 29 जुलाई, 1995 को सुनाये गये निचली अदालत के बरी करने के आदेश के खिलाफ अपील दायर करने में 10,165 दिन की देरी की अनदेखी करे।

याचिका को खारिज करते हुए पीठ ने कहा, ‘‘इतने लंबे विलंब और इसी तरह के मामलों में समन्वय पीठ के फैसलों को देखते हुए, जिन्हें उच्चतम न्यायालय ने बरकरार रखा है, विलंब की अनदेखी नहीं की जा सकती। इसलिए (अपील करने की) अनुमति नहीं दी जा सकती है।’’

दूसरी ओर, अभियोजन पक्ष ने कहा था कि हिंसा से संबंधित मामलों की जांच के लिए दिसंबर, 2018 में न्यायमूर्ति एस. एन. ढींगरा समिति का गठन किया गया था और अप्रैल, 2019 में इसकी रिपोर्ट आने के बाद आंतरिक समीक्षा की गई तथा अपील दायर करने के लिए मामलों पर कार्यवाही की गई।

भाषा

देवेंद्र माधव

माधव

 

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