खरगे परिवार संचालित ट्रस्ट के इंस्टीट्यूट को 19 एकड़ जमीन मुफ्त दी गई: भाजपा नेता सिरोया का आरोप |

खरगे परिवार संचालित ट्रस्ट के इंस्टीट्यूट को 19 एकड़ जमीन मुफ्त दी गई: भाजपा नेता सिरोया का आरोप

खरगे परिवार संचालित ट्रस्ट के इंस्टीट्यूट को 19 एकड़ जमीन मुफ्त दी गई: भाजपा नेता सिरोया का आरोप

:   Modified Date:  September 2, 2024 / 06:39 PM IST, Published Date : September 2, 2024/6:39 pm IST

बेंगलुरु, दो सितंबर (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद लहर सिंह सिरोया ने सोमवार को आरोप लगाया कि कांग्रेस अध्यक्ष एम. मल्लिकार्जुन खरगे के परिवार से संबंधित सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट द्वारा संचालित एक संस्थान को 19 एकड़ सरकारी जमीन मुफ्त दी गई। सिरोया ने इसकी जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराने की मांग की।

राज्यसभा सदस्य सिरोया ने दावा किया कि नये दस्तावेजों से खुलासा हुआ है कि यह भूमि ट्रस्ट द्वारा संचालित ‘इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट आफ पाली, संस्कृत एंड कंपैरेटिव फिलॉस्फी’, कलबुर्गी को दे दी गई।

उन्होंने बताया कि इसके ट्रस्टी में खरगे की पत्नी, दामाद और दो बेटे शामिल हैं। उन्होंने कहा कि पाली इंस्टीट्यूट के सचिव राधाकृष्ण हैं, जो खरगे के दामाद और मौजूदा सांसद हैं।

सिरोया ने कहा कि हाल ही में यह बात सामने आई थी कि ट्रस्ट को बेंगलुरु के पास एयरोस्पेस पार्क में पांच एकड़ जमीन दी गई थी।

भाजपा नेता ने एक बयान में दावा किया कि मार्च 2014 में सिद्धरमैया के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने पाली इंस्टीट्यूट को 30 साल के लिए 16 एकड़ सरकारी जमीन पट्टे पर दी थी। उन्होंने दावा किया कि कुछ वर्षों में, 16 एकड़ की पट्टे वाली संपत्ति में तीन एकड़ की अतिरिक्त जमीन जोड़ दी गई।

उन्होंने कहा कि अंत में, मार्च 2017 में, कांग्रेस सरकार द्वारा सभी 19 एकड़ जमीन संस्थान को मुफ्त में हस्तांतरित कर दी गई। उन्होंने कहा कि एक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि खरगे के बेटे प्रियंक खरगे तत्कालीन कर्नाटक सरकार में भी कैबिनेट मंत्री थे और अब भी हैं।

उन्होंने मांग की कि 19 एकड़ भूमि के हस्तांतरण की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी द्वारा की जानी चाहिए।

सिरोया ने कहा, ‘कर्नाटक में खरगे परिवार द्वारा सत्ता के कथित दुरुपयोग और भाई-भतीजावाद को उजागर करने के लिए मुझे व्यक्तिगत रूप से निशाना बनाया गया। लेकिन, अगर खरगे परिवार बाबासाहेब आंबेडकर और भगवान गौतम सिद्धार्थ के सिद्धांतों में विश्वास करता है, तो उन्हें खुद जांच की मांग करनी चाहिए।’

उन्होंने कहा, ‘इस संदर्भ में पूछने के लिए एक और प्रासंगिक सवाल यह है कि क्या सिद्धरमैया सरकार ने खरगे के दबाव में आकर उनके निजी ट्रस्ट को जमीन के टुकड़े दिये या कर्नाटक की कांग्रेस सरकार श्री खरगे को खुश करने की कोशिश कर रही थी?’

भाषा अमित अविनाश

अविनाश

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