संरक्षा श्रेणी में 1.52 लाख पद रिक्त: रेलवे ने आरटीआई के जवाब में दी जानकारी |

संरक्षा श्रेणी में 1.52 लाख पद रिक्त: रेलवे ने आरटीआई के जवाब में दी जानकारी

संरक्षा श्रेणी में 1.52 लाख पद रिक्त: रेलवे ने आरटीआई के जवाब में दी जानकारी

:   Modified Date:  June 18, 2024 / 08:15 PM IST, Published Date : June 18, 2024/8:15 pm IST

नयी दिल्ली, 18 जून (भाषा) भारतीय रेलवे में संरक्षा श्रेणी के करीब 10 लाख स्वीकृत पदों में से इस साल मार्च तक 1.5 लाख से अधिक पद रिक्त थे। यह जानकारी रेल मंत्रालय ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत एक आवेदन के जवाब में दी है।

हालांकि, अधिकारियों ने कहा है कि ट्रेन की संरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और रेलवे ने पिछले 10 वर्षों में इस मामले में महत्वपूर्ण निवेश किया है, साथ ही कई संरचनात्मक और प्रणालीगत सुधार भी किए हैं, जिनका सुरक्षित परिचालन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

संरक्षा श्रेणी के पदों में ट्रेन चालक, निरीक्षक, चालक दल नियंत्रक, लोको प्रशिक्षक, ट्रेन नियंत्रक, पटरी का रखरखाव करने वाले, स्टेशन मास्टर, पॉइंट्समैन, इलेक्ट्रिक सिग्नल रखरखाव करने वाले और सिग्नलिंग सुपरवाइजर आदि शामिल हैं।

रेलगाड़ियों के संचालन में सीधे तौर पर शामिल होने के कारण इन पदों पर कार्यरत कार्मिक रेलगाड़ियों के सुरक्षित संचालन के लिए महत्वपूर्ण हैं।

मंत्रालय ने आरटीआई आवेदन के जवाब में कहा, ‘‘भारतीय रेलवे की संरक्षा श्रेणी में स्वीकृत, कार्यरत और रिक्त पदों की कुल संख्या इस कार्यालय में 01.03.2024 (अनंतिम) तक उपलब्ध जानकारी के अनुसार क्रमशः 10,00,941, 8,48,207 और 1,52,734 है।’

लोको पायलट (मेल/एक्सप्रेस/यात्री/माल/शंटिंग) के रिक्त पदों के बारे में आरटीआई आवेदन में पूछे गए एक सवाल का उत्तर देते हुए, रेल मंत्रालय ने कहा कि कुल स्वीकृत 70,093 पदों में से 14,429 पद रिक्त हैं।

मध्य प्रदेश के आरटीआई आवेदक चंद्रशेखर गौड़ ने कहा, ‘जवाब से पता चलता है कि रेलवे को सहायक चालकों के पद खाली होने की वजह से भी प्रभावित होना पड़ रहा है। सहायक चालकों के स्वीकृत कुल 57,551 पदों में से 4,337 पद खाली हैं।’

आरटीआई आवेदन में गौड़ ने यह भी जानना चाहा कि पिछले चार सालों में भारतीय रेलवे में कितने नए पद सृजित किए गए और कितने पद ‘सरेंडर’ किए गए। इस पर रेलवे ने जवाब दिया, ‘यह जानकारी इस कार्यालय में केंद्रीय रूप से नहीं रखी जाती है। यह अलग अलग जगह बिखरी हुई है। यह एक से अधिक सार्वजनिक प्राधिकार यानी सभी क्षेत्रीय रेलवे और उत्पादन इकाइयों आदि से संबंधित है।’

गौड़ ने कहा, ‘मंत्रालय ने मुझे सलाह दी है कि ऐसी जानकारी संबंधित सार्वजनिक प्राधिकारों से आरटीआई अधिनियम के तहत अलग-अलग आवेदन प्रस्तुत करके प्राप्त की जा सकती है। मुझे लगता है कि ऐसी महत्वपूर्ण जानकारी को केंद्रीय रूप से बनाए रखा जाना चाहिए।’

रेलवे ट्रेड यूनियन ने कर्मियों की कमी के कारण सुरक्षा श्रेणी में तैनात अधिकारियों और श्रमिकों पर बढ़ते तनाव का मुद्दा उठाया है।

नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमैन के सहायक महासचिव अशोक शर्मा ने कहा, ‘यही कारण है कि दुर्घटनाएं हो रही हैं। सुरक्षा श्रेणी में कर्मचारियों पर अत्यधिक दबाव है। उन्हें अपनी मानसिक और शारीरिक क्षमता से परे काम करना पड़ता है।’

उन्होंने दावा किया, ‘सबसे बड़ी समस्या यह है कि रेल मंत्रालय ने करीब दो साल पहले सभी संरक्षा श्रेणी के पदों का सृजन बंद कर दिया है और अब वित्त मंत्रालय की सहमति के बिना ऐसे पदों का सृजन नहीं किया जा सकता।’

हालांकि, रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 2014-24 की अवधि में संरक्षा से जुड़ी परियोजनाओं में निवेश 1,78,000 करोड़ रुपये था, जो 2004-14 की अवधि में 70,273 करोड़ रुपये के निवेश से 2.5 गुना अधिक है।

उन्होंने कहा, ‘संरक्षा उपायों को और बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। पटरी, सिग्नलिंग, लोकोमोटिव और ट्रेनों से जुड़े सुधार इस प्रयास का हिस्सा हैं।’

अधिकारी ने यह भी कहा कि लोको पायलट, लोको इंस्पेक्टर और स्टेशन मास्टर को प्रशिक्षित करना भी सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा, ‘बेहतर प्रशिक्षण के लिए ‘सिम्युलेटर’ लाये जा रहे हैं।’

भाषा अमित माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)