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आजादी का अमृत महोत्सवः पीएम मोदी ने लाल किले से रखा विकसीत भारत के 25 साल का ब्लू प्रिंट, जानिए उनके संबोधन की 15 बड़ी बातें
आजादी का अमृत महोत्सवः पीएम मोदी ने लाल किले से रखा विकसीत भारत के 25 साल का ब्लू प्रिंट! 15 Important Points of PM Modi address Lal Kila
Edited By :
Deepak DilliwarModified Date:
November 29, 2022 / 08:21 PM IST,
Published Date :
August 15, 2022/9:18 am IST
नई दिल्लीः 15 Important Points of PM Modi Speech पूरे देश में आज आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। इस अवसर पर पीएम मोदी ने लाल किले के प्राचीर पर ध्वजारोहण किया और राष्ट्र्रगान गाकर तिरंगे को सलामी दी। बता दें कि पीएम मोदी ने आज 9वीं बार लाल किले पर ध्वजारोहण किया। वहीं, इस अवसर पर लाल किले से पीएम मोदी ने देशवासियों को संबोधित किया। तो आइए जानते हैं पीएम मोदी के संबोधन की 15 बड़ी बातें…
15 Important Points of PM Modi Speech पीएम मोदी के संबोधन की 10 बड़ी बातें
आज़ादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर देशवासियों को अनेक-अनेक शुभकामनाएं। बहुत-बहुत बधाई। मैं विश्व भर में फैले हुए भारत प्रेमियों को, भारतीयों को आजादी के इस अमृत महोत्सव की बहुत-बहुत बधाई देता हूं।
ये देश का सौभाग्य रहा है कि आज़ादी की जंग के कई रूप रहे हैं। उसमें एक रूप वो भी था जिसमें नारायण गुरु हो, स्वामी विवेकानंद हों, महर्षि अरविंदो हों, गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर हों, ऐसे अनेक महापुरूष हिंदुस्तान के हर कोने में भारत की चेतना को जगाते रहे।
हिंदुस्तान का कोई कोना, कोई काल ऐसा नहीं था, जब देशवासियों ने सैंकड़ों सालों तक गुलामी के खिलाफ जंग न की हो, जीवन न खपाया हो, यातनाएं न झेली हो, आहुति न दी हो। आज हम सब देशवासियों के लिए ऐसे हर महापुरुष को, हर त्यागी और बलिदानी को नमन करने का अवसर है।
देश कृतज्ञ है मंगल पांडे, तात्या टोपे, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, चंद्रशेखर आज़ाद, असफाक उल्ला खां, राम प्रसाद बिस्मिल ऐसे अनगिनत ऐसे हमारे क्रांति वीरों ने अंग्रेजों की हुकूमत की नींव हिला दी थी।
भारत लोकतंत्र की जननी है। मदर ऑफ डेमोक्रेसी है। जिनके ज़हन में लोकतंत्र होता है वे जब संकल्प करके चल पड़ते हैं वो सामर्थ्य दुनिया की बड़ी बड़ी सल्तनतों के लिए भी संकट का काल लेकर आती है ये मदर ऑफ डेमोक्रेसी।
हमारे भारत ने सिद्ध कर दिया कि हमारे पास ये अनमोल सामर्थ्य है। 75 साल की यात्रा में आशाएं, अपेक्षाएं, उतार-चढ़ाव सब के बीच हर एक के प्रयास से हम यहां तक पहुंच पाए। आज़ादी के बाद जन्मा मैं पहला व्यक्ति था जिसे लाल किले से देशवासियों का गौरव गान करने का अवसर मिला।
हिंदुस्तान के हर कोने में उन सभी महापुरुषों को याद करने का प्रयास किया गया, जिनको किसी न किसी कारणवश इतिहास में जगह न मिली, या उनकों भुला दिया गया था। आज देश ने खोज खोज कर ऐसे वीरों, महापुरुषों, बलिदानियों, सत्याग्रहियों को याद किया, नमन किया।
अब देश बड़े संकल्प लेकर चलेगा, और वो बड़ा संकल्प है विकसित भारत और उससे कुछ कम नहीं होना चाहिए। दूसरा प्राण है किसी भी कोने में हमारे मन के भीतर अगर गुलामी का एक भी अंश हो उसे किसी भी हालत में बचने नहीं देना।
तीसरी प्राण शक्ति- हमें अपनी विरासत पर गर्व होना चाहिए… चौथा प्राण है- एकता और एकजुटता… पांचवां प्राण है- नागरिकों का कर्तव्य, इसमें प्रधानमंत्री भी बाहर नहीं होता है, राष्ट्रपति भी बाहर नहीं है।
आने वाले 25 साल के लिए हमें उन पंच प्राण पर अपनी शक्ति को केंद्रित करना होगा। 2047 जब आज़ादी के 100 साल होंगे, आज़ादी के दिवानों के सारे सपने पूरे करने का जिम्मा उठाकर चलना होगा।
जब तनाव की बात होती है तो लोगों को योग दिखता है, सामूहिक तनाव की बात होती है तो भारत की पारिवारिक व्यवस्था दिखती है। संयुक्त परिवार की एक पूंजी सदियों से हमारी माताओं के त्याग बलिदान के कारण परिवार नाम की जो व्यवस्था विकसित हुई, ये हमारी विरासत है जिसपर हम गर्व करते हैं।
हम जीव में भी शिव देखते हैं, हम वो लोग हैं जो नर में नारायण देखते हैं, हम वो लोग हैं जो नारी को नारायणी कहते हैं, हम वो लोग हैं जो पौधे में परमात्मा देखते हैं… ये हमारा सामर्थ्य है, जब विश्व के सामने खुद गर्व करेंगे तो दुनिया करेगी।
पीएम मोदी ने कहा कि हिंदुस्तान का कोई कोना, कोई काल ऐसा नहीं था, जब देशवासियों ने सैंकड़ों सालों तक गुलामी के खिलाफ जंग न की हो, जीवन न खपाया हो, यातनाएं न झेली हो, आहुति न दी हो। आज हम सब देशवासियों के लिए ऐसे हर महापुरुष को, हर त्यागी और बलिदानी को नमन करने का अवसर है।
हमारी यात्रा अनेक उतार चढ़ाव से भरी हुई है। इसके बीच भी हमारे देशवासियों ने उपलब्धियां की हैं। हार नहीं मानी है। संकल्पों को ओझल नहीं होने दिया है। इसलिए यह भी सच्चाई है कि सैकड़ों सालों की गुलामी के कालखंडों को भारत के मन को भारत की भावनाओं को गहरे घावल दिए हैं, गहरी चोटें पहुंची हैं, लेकिन उसके भीतर एक जिद भी थी, एक जुनून भी था। और उसके कारण अभावों के बीच भी और जब आजादी का रण अंतिम चरण में था, तो देश को हताश करने के लिए सभी उपाय किए गए… न जानें क्या क्या आशंकाएं व्यक्त की गईं, लेकिन इन्हें पता नहीं था कि यह हिंदुस्तान की मिट्टी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान के निर्माता बाबा साहब आंबेडकर, सुभाष चंद्र बोस समेत कई महापुरुषों को नमन किया। उन्होंने कहा कि आज महापुरुषों को याद करने का दिन है।
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