इंफाल, तीन अक्टूबर (भाषा) इंफाल की साजिवा सेंट्रल जेल से 11 कुकी-जो कैदियों को अदालत से जमानत मिलने के कुछ दिन बाद बृहस्पतिवार सुबह कांगपोकपी जिले में भेज दिया गया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘कैदियों को मादक पदार्थ से संबंधित आरोपों सहित विभिन्न अपराधों के लिए जेल में रखा गया था, जिन्हें हाल ही में एक स्थानीय अदालत ने जमानत दे दी थी।’’
उन्होंने कहा कि राज्य के मौजूदा हालात की वजह से उनकी रिहाई में देरी हुई।
हालांकि, अधिकारी ने कहा कि कैदियों को जेल से रिहा किया जाना और आज सुबह दो मैइती युवकों को बंधनमुक्त किए जाने का कोई लेनादेना नहीं है।
कांगपोकपी जिले में हथियारबंद लोगों द्वारा बंधक बनाए गए दो मैइती युवकों को 27 सितंबर को उनके अपहरण के सात दिन बाद सुबह करीब 5 बजे गमगीफाई नाका पर जिला पुलिस अधीक्षक के हवाले कर दिया गया। अधिकारियों ने पुष्टि की कि पुलिस और असम राइफल्स की सुरक्षा में दोनों सुबह करीब 8 बजे इंफाल पहुंचे।
हालांकि, कांगपोकपी जिले में जनजातीय एकता समिति (सीओटीयू) ने दावा किया कि युवाओं की रिहाई के लिए वार्ता में 11 कैदियों की रिहाई एक प्रमुख मांग थी।
सीओटीयू के एक प्रतिनिधि ने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘‘इंफाल घाटी के तीन लोगों को हमारे गांव के कार्यकर्ताओं ने हिरासत में लिया था। हमारे हस्तक्षेप के बाद, हम एक युवक को तुरंत रिहा करने में कामयाब रहे। अन्य दो के लिए, हमारे स्वयंसेवकों ने कुछ शर्तें लगाईं। 29 सितंबर को डीजीपी के साथ हमारी पहली चर्चा सफल नहीं हुई।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी शुरुआती मांगों में सभी कुकी-जो कैदियों को सजीवा सेंट्रल जेल से चुराचांदपुर स्थानांतरित करना और एक पुलिस स्टेशन की स्थापना करना शामिल था। हमने केंद्र से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया और उनकी सहायता से हम एक सौहार्दपूर्ण समाधान पर पहुंचे। युवाओं को आज रिहा कर दिया गया और हमारे समझौते के अनुसार, 11 कैदियों को अब सपरमेना में चर्च परिसर में ले जाया गया है।’’
मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने पहले स्वीकार किया कि अपहर्ताओं ने अपनी मांग रखी थी। उन्होंने 30 सितंबर को कहा था, ‘‘कुछ कैदियों के स्थानांतरण के संबंध में कुछ मांगें रहीं हैं, लेकिन सरकार बिना शर्त युवाओं को रिहा करने की दिशा में काम कर रही है।’’
भाषा वैभव माधव
माधव
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