जबलपुर । एक समय था जब शूटिंग पुरुषों का खेल माना जाता था लेकिन आज शूटिंग की दुनिया में लड़कियां पुरुषों को टक्कर दे रही हैं। ऐसी ही शॉर्प शूटर जबलपुर की श्रेया अग्रवाल हैं जो 19 बरस की उम्र में ही 19 इंटरनेशनल मैडल अपने नाम कर चुकी हैं। श्रेया ने ये मुकाम सिर्फ 4 सालों में हासिल किया है, जो आज जूनियर कैटेगरी में देश की नंबर वन एयर गन शूटर हैं।
निशाना वो है जो अपने निशान छोड़ जाए, लक्ष्य पर लगे तो इतिहास रच जाए। शूटिंग की दुनिया में ऐसा ही इतिहास रचा है जबलपुर की महज़ उन्नीस साल की लड़की श्रेया अग्रवाल ने, आज से 4 साल पहले श्रेया नौवीं कक्षा में पढ़ने वाली एक सामान्य लड़की थी। एक दिन स्कूल में हुए एक शूटिंग ईवेंट में उसने बंदूक थामी और फिर लक्ष्य पर लगे उसकी गोलियों ने इतिहास रचना शुरु कर दिया।
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4 साल पहले स्कूल के शूटिंग ईवेंट में पहली बार बंदूक थामने वाली श्रेया ने जब एक के बाद एक सटीक निशाने लगाए तो श्रेया के पैरेंट्स ने उसे शहर की एक शूटिंग एकैडमी में दाखिला दिलवा दिया। ओलंपियन शूटर गगन नारंग की इस एकैडमी गन फॉर ग्लोरी में श्रेया ने अपना हुनर इस कदर तराशा कि एक के बाद एक खिताब उसके नाम होते चले गए, टेंथ एशियन एयरगन शूटिंग चैंपियनशिप 2017 में श्रेया ने ब्रॉन्ज मैडल अपने नाम किया था लेकिन उसके बाद सिडनी में साल 2018 में हुए जूनियर शूटिंग वर्ल्डकप में उसने गोल्डमैडल जीतकर देश का नाम रौशन कर किया। जूनियर कैटेगरी में अब तक श्रेया ने 9 इंटरनेशनल कॉम्पटीशन में हिस्सा लिया है जिसमें उसने 8 गोल्ड, 5 सिल्वर और 6 ब्रॉन्ज़ यानि उन्नीस बरस की उम्र में पूरे 19 इंटरनेशनल मैडल अपने नाम कर लिए हैं। हाल ही में नेशनल रायफल एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने देशभर के शूटर्स की रैंकिंग जारी की है जिसमें श्रेया को जूनियर कैटेगरी में पहला स्थान दिया गया है। श्रेया कहती हैं कि उनके जैसी कोई भी लड़की चाहे तो अपनी लगन और मेहनत के दम पर शूटिंग की दुनिया में नाम कमा सकती है।
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जबलपुर में ही रहकर गन फॉर ग्लोरी एकैडमी में प्रैक्टिस करते हुए श्रेया कामयाबी के नए पन्ने पलटती जा रही हैं। श्रेया के कोच बताते हैं कि पहले शूटिंग स्पोर्ट्स में लड़को के मुकाबले सिर्फ 25 फीसदी लड़कियां होती थीं लेकिन आज इस खेल में लड़कियों की तादात 50 फीसदी है जो लड़कों को कड़ी टक्कर दे रही हैं। श्रेया के कोच कहते हैं कि लड़कियों में खुद को फोकस्ड रखने की खूबी होती है लिहाजा वो चाहें तो शूटिंग की इस दुनिया में अपना बेहतर कल बना सकती हैं।
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निशानेबाजी के लिए बाजुओं की ताकत के अलावा बुलंद हौसले,एकाग्रता और अपने मिशन के लिए किसी भी हद से गुजर जाने तक की लगन चाहिए। 19 बरस की श्रेया ने अब तक 19 इंटरनेशनल मैडल जीतकर ये साबित भी कर दिया है कि अगर अर्जुन जैसा लक्ष्य भेद देने का जज्बा हो तो देश की लड़कियां भी पूरी दुनिया में अपने हुनर का लोहा मनवा सकती हैं। श्रेया के परफॉर्मेंस को देखते हुए उसका, अगले ऑलम्पिक में क्वालिफाई करना लगभग तय माना जा रहा है और लगता नहीं कि देश की लड़कियों की ताकत दिखाते आगे बढ़ रही श्रेया को सोने पर निशाना साधने से कोई रोक पाएगा।