दो सालों से अनुकंपा नियुक्ति के लिए दफ्तरों के हजारों चक्कर के बाद मिली सिर्फ हताशा, मां को मासूमों के परवरिश की चिंता | Woman did not get compassionate appointment after the death of husband

दो सालों से अनुकंपा नियुक्ति के लिए दफ्तरों के हजारों चक्कर के बाद मिली सिर्फ हताशा, मां को मासूमों के परवरिश की चिंता

दो सालों से अनुकंपा नियुक्ति के लिए दफ्तरों के हजारों चक्कर के बाद मिली सिर्फ हताशा, मां को मासूमों के परवरिश की चिंता

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:49 PM IST, Published Date : November 20, 2019/5:57 am IST

नरसिंहपुर, मध्य प्रदेश। सरकारी सिस्टम की खराबी का दंश मुलाजिमों के परिजनों को भुगतना पड़ रहा है। साल 2017 में ड्यूटी के दौरान सहायक शिक्षक की मौत के बाद आज तक परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिली। परिवार में तीन मासूम बच्चों की परवरिश के लिए मां दरबदर भटकने को मजबूर है। कमिश्नर से लेकर कलेक्टर तक इनकी गुजारिश अनसुनी कर दी गई है।

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बता दें 2 वर्ष पूर्व कन्हैया लाल मेहरा नामक सहायक शिक्षक की ड्यूटी ओडीएफ अभियान मैं लगाई गई थी और बकायदा इसके लिए शासकीय आदेश भी जारी हुआ था। लेकिन ड्यूटी के ही दौरान कन्हैया लाल की एक दुर्घटना में मौत हो गई थी। उसके बाद से यह परिवार यतिमों कि तरह गुजर बसर करने को मजबूर है ना ही शासन से आज तक कोई आर्थिक मदद मिली न ही कर्मचारी की विधवा को नियमानुसार अनुकंपा नियुक्ति मिली।

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जिसके चलते परिवार को आर्थिक तंगी से जूझना पड़ रहा है। ड्यूटी के दौरान कन्हैया लाल की मौत के बाद से अब तक सैकड़ों बार यह पीड़ित परिवार सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटकर लाचार हो चुका है। आर्थिक हालात भी ऐसे नहीं की भरण पोषण हो सके, रिश्तेदारों के भरोसे आखिर कब तक और कितना लालन पालन हो।

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मृतक कर्मचारी की विधवा बताती हैं कि उनकी मां और रिश्तेदारों के भरोसे दो वक्त की रोटी तो नसीब होती है लेकिन तीन बच्चों को लेकर आखिर वह कब तक यूं ही लाचार और बेबस रहे। वहीं कैमरे के सामने आते ही अब अधिकारी जल्द दस्तावेजों के आधार पर आर्थिक मदद और नियम संगत अनुकंपा नियुक्ति देने की बात कर रहे हैं। प्रशासन के दावे कितने सच साबित होते हैं ये देखने वाली बात होगी।

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