कब एडजस्ट होगा सिंधिया गुट... सिंधिया गुट की चाहत कब होगी पूरी?  | When will the Scindia faction be adjusted... When will the desire of the Scindia faction be fulfilled?

कब एडजस्ट होगा सिंधिया गुट… सिंधिया गुट की चाहत कब होगी पूरी? 

कब एडजस्ट होगा सिंधिया गुट... सिंधिया गुट की चाहत कब होगी पूरी? 

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:57 PM IST
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Published Date: June 17, 2021 6:51 pm IST

भोपाल: कांग्रेस के महाराज जब से बीजेपी में शामिल हुए हैं, तब से कैडर बेस पार्टी में प्रदेश भाजपा संगठन में जो कुछ भी होता है, उससे सिंधिया खेमे को क्या मिला…क्या दिया…क्या मिल सकता है इस बात की चर्चा जोरों पर छिड़ी रहती है। बीते दिनों जब ज्योतिरादित्य सिंधिया प्रदेश दौरे पर आए तभी से अटकलों का दौर तेज हुआ कि अबकि बार सिंधिया अपने समर्थकों को क्या संगठन और सत्ता में कुछ और पद दिलवा पाएंगे। आते ही सिंधिया ने संगठन में पावर सेंटर माने जाने वाले तकरीबन हर खास नेता से मुलाकात की, क्षेत्र का दौरा किया। मैराथन मीटिंग्स की और जाते-जाते इशारा कर गए थोड़ा संयम बरतें। यानि इंतजार अभी लंबा खिंचेगा, लेकिन ये इंतजार किसके लिए और कितना लंबा खिंचेगा? 

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भोपाल दौरे के दौरान कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आये ज्योतिरादित्य सिंधिया का ये बयान बताता है कि सरकार और संगठन में नई नियुक्तियों को लेकर सस्पेंस बना हुआ है। दरअसल प्रदेश कार्यसमिति की घोषणा के बाद अब तक नई नियुक्तियां शुरू नहीं हो पाई है। बीजेपी नेताओँ की मुलाकात और बैठकों का दौर जारी है। बावजूद इसके प्रदेश में रिक्त चल रहे पदों पर नेताओं को ताजपोशी की घोषणा टलती जा रही है। ऐसी चर्चा है कि देरी के पीछे सबसे बड़ी वजह ज्योतिरादित्य सिंधिया की पसंद की नियुक्तियां है, जिसके चलते बीजेपी सरकार और संगठन हर फैसला लेने में पिछड़ती जा रही है।

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जिन पदों पर नियुक्तियां होनी है, उसमें जिला कार्यकारिणी प्रदेश स्तर पर लंबे समय से रिक्त मोर्चा- प्रकोष्ठों के पद हैं। संगठन में पार्टी का चेहरा माने जाने वाले प्रवक्ता और मीडिया पेनलिस्ट की घोषणा भी अब तक नहीं हुई है। इसके अलावा निगम मंडल और प्राधिकरण आयोग में नियुक्तियों का इंतजार है। सिंधिया अपने समर्थकों के लिए सबसे ज्यादा जगह निगम मंडल में ही चाहते है। मंत्रिमंडल के गठन के बाद से अब तक मंत्रियों को जिला का प्रभार नहीं मिला है।

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ऐसे में जब सिंधिया भोपाल दौरे पर आए तो, उन्होंने निर्णय लेने में निर्णायक माने जाने वाले लगभग हर प्रमुख नेता से मुलाकात की, उनके साथ मैराथन बैठकें हुई। बावजूद इसके नामों पर सहमति नहीं बनी। दरअसल सिंधिया सरकार बनाने के दौरान जो वादे किए गए थे, उन पर अमल चाहते हैं। जाते-जाते सिंधिया बता गए कि उपचुनाव हारे पूर्व मंत्री इमरती देवी, गिर्राज दंडोतिया और एंदल सिंह कंसाना के लिए सरकार में जगह चाहिए। इसके अलावा बीजेपी में आए जो बाकी विधायक उप चुनाव हार गए हैं, उन्हें भी एडजस्ट करने की कोशिश सिंधिया कर रहे हैं। बीजेपी में सिंधिया गुट को एडजस्ट करने में हो रही देऱी पर अब कांग्रेस भी तंज कस रही है।

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मध्यप्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद से ही सरकार और संगठन में सिंधिया का दखल साफ़ नजर आता है। शिवराज कैबिनेट में सिंधिया समर्थक मंत्रियों का कब्ज़ा है। हाल ही में घोषित बीजेपी की जंबो कार्यसमिति में भी 15 फीसदी नेता सिंधिया समर्थक हैं। बीजेपी हाईकमान ये बात अच्छी तरह समझता है कि सरकार बनाने में सिंधिया की बड़ी भूमिका है, लेकिन सिंधिया की चाहत बीजेपी के संगठन और सरकार के फैसलों में देरी का कारण बन रही है। कुल मिलाकर ये  साफ है कि बीजेपी और सिंधिया के बीच मसला सुलझा नहीं अब भी फंसा है। ऐसे में सिंधिया गुट की चाहत कब पूरी होती है? ये ब़ड़ा सवाल है।

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