रायपुर: प्रदेश में अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में वर्चुअल कक्षाएं 15 जुलाई से प्रारंभ होंगी। इन अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति और विद्यालयों में प्रवेश की प्रक्रिया 30 जून तक पूर्ण कर ली जाएगी। स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला ने इस संबंध में सभी जिला कलेक्टरों को आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित कराने के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश दिए हैं।
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अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के संचालन के लिए कलेक्टरों से कहा गया है कि अंग्रेजी माध्यम के स्कूल के लिए शिक्षकों की व्यवस्था के संबंध में राज्य शासन द्वारा कुछ पदों पर पदस्थापना की गई है, परंतु अधिकांश पद रिक्त हैं। रिक्त पदों पर स्थानीय स्तर पर कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति द्वार संविदा पर भर्ती की कार्रवाई पूर्व निर्देशानुसार की जानी है। प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा ने जिला कलेक्टरों से कहा है कि अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के लिए शिक्षकों की व्यवस्था की कार्रवाई आगामी 15-20 दिनों में पूर्ण कर ली जाए। जिससे जुलाई माह से वर्चुअल क्लास के रूप में प्रारंभ किया जा सके।
कलेक्टर स्कूलों की अधोसंरचना के संबंध में अन्य अधिकारियों के साथ जिले के सर्वश्रेष्ठ निजी स्कूलों का भ्रमण करें और देखें की उन निजी स्कूलों में किस प्रकार की अधोसंरचनाएं हैं। कलेक्टरों का पूरा प्रयास होना चाहिए कि अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में निजी स्कूलों से बेहतर स्तर की अधोसंरचनाएं विकसित की जाएं। इसके लिए विशेष रूप से कक्षा के फर्नीचर, प्रयोगशाला, उपकरण और पुस्तकालय की अधोसंरचना और अच्छी पुस्तकों की सूची महत्वपूर्ण है। कलेक्टर स्वयं इस कार्य में रूचि लेकर उच्च गुणवत्ता के स्कूल तैयार करवाएं। इस कार्य की व्यक्तिगत मॉनिटरिंग करें।
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अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में विद्यार्थियों की भर्ती के संबंध में जिला कलेक्टरों से कहा गया है कि विद्यार्थियों की भर्ती एक जुलाई से अनिवार्य रूप से प्रारंभ कर दें और 15 जुलाई तक इसे पूर्ण कर लिया जाए। प्रवेश में प्राथमिकता का क्रम निर्धारित करने के लिए कक्षा पहली से पांचवीं तक के विद्यार्थियों के लिए एक किलोमीटर के भीतर निवासरत परिवारों को प्राथमिकता दी जाए। कक्षा 6वीं से 8वीं तक के लिए 3 तीन किलोमीटर की परिधि में निवासरत परिवारों को प्राथमिकता दी जाए। कक्षा 9वीं और 10वीं के विद्यार्थियों के लिए 5 किलोमीटर तथा कक्षा 11वीं, 12वीं के लिए 7 किलोमीटर की परिधि में रहने वाले परिवारों को प्राथमिकता दी जाए। इसी प्रकार कक्षा पहली से पांचवी तक हिन्दी और अंग्रेजी माध्यम से पढ़े हुए दोनों ही प्रकार के विद्यार्थियों को एक समान प्राथमिकता दी जा सकती है, परंतु इसके बाद की कक्षाओं में पूर्व में अंग्रेजी माध्यम से पढ़े हुए विद्यार्थियों को प्राथमिकता दी जाए।
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विद्यालयों में उपलब्ध स्थान से अधिक विद्यार्थी आवेदन करते हैं तो कक्षा पहली से पांचवी तक के लिए लॉटरी निकालकर प्रवेश प्रक्रिया की जाए। इसके ऊपर की कक्षाओं के लिए पूर्व की कक्षाओं के परीक्षा परिणाम के आधार पर मेरिट सूची बनाकर प्रवेश दिया जाए। मेरिट सूची में एक से अधिक विद्यार्थी का नाम एक ही स्थान पर हो तो उनका भी निर्णय लॉटरी निकालकर किया जाए। प्रवेश के समय विद्यार्थियों के अभिभावकों से यह सहमति पत्र लिया जाए कि वे विद्यार्थी को घर से पढ़ाई के लिए वर्चुअल कक्षा के लिए मोबाईल और डाटा उपलब्ध कराएंगे और प्राथमिक एवं माध्यमिक स्तर की कक्षाओं के लिए कक्षा की अवधि में विद्यार्थियों के कोई न कोई अभिभावक उनके साथ उपस्थित रहेंगे, जिससे शिक्षा द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार वे विद्यार्थियों की गतिविधियां आदि करा सकें। प्रवेश के समय यह भी बताया जाए कि विद्याथियों की वर्चुअल कक्षा में उपस्थिति 70 प्रतिशत से कम रहती है तो उसका नाम स्कूल से काटा जा सकेगा।
जिला कलेक्टरों से कहा गया है कि अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में वर्चुअल कक्षा 15 जुलाई से प्रारंभ कर दी जाए। इसके लिए प्रत्येक स्कूल में एक हाई ब्राडबेंड का इंटरनेट कनेक्शन लगाया जाए। जहां संभव हो वहां ऑप्टिकल फायबर का इंटरनेट लगाया जा सकता है। इसके पश्चात विद्यालय के भीतर आंतरिक वायरिंग करके प्रत्येक कक्षा में पृथक वाई-फाई राउटर लगाया जाए, जिससे शिक्षक अपनी-अपनी कक्षाओं से वर्चुअल क्लास ले सकेंगे। प्राचार्य प्रत्येक कक्षा के लिए वर्चुअल कक्षाओं हेतु एक टाईम-टेबल निर्धारित करें और सभी शिक्षक टाईम-टेबल के अनुसार कक्षाओं में अध्ययन-अध्यापन का कार्य करें। टाईम-टेबल विद्यार्थियों को वाट्सअप आदि से सूचित किया जा सकता है। कलेक्टरों से कहा गया है कि यह ध्यान रखा जाए कि प्राथमिक स्तर की कक्षाओं में वर्चुअल कक्षाओं का समय प्रतिदिन एक-दो घंटे से अधिक न रखा जाए और वर्चुअल कक्षाएं इस रूप में आयोजित की जाए जिससे विद्यार्थी आनंददायी तरीके से अपने अभिभावकों से मिलकर शैक्षणिक गतिविधियां कर सके। इस स्तर के विद्यार्थियों के लिए स्क्रीन टाईम कम से कम रखा जाए। इसी प्रकार माध्यमिक स्तर की कक्षाओं में दो-तीन घंटे का समय और उससे ऊपर की कक्षाओं के लिए इससे अधिक समय निर्धारित किया जा सकता है। प्रत्येक विषय का पीरियड भी छोटा किया जा सकता है। वर्चुअल कक्षाओं में विद्यार्थियों को होमवर्क भी दिया जाए, जो स्कूल शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर ’पढ़ई तुंहर दुआर’ से कराया जा सकता है। वर्चुअल कक्षाएं कराने के संबंध में विस्तृत निर्देश राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) द्वारा पृथक से जारी किया जाएगा और एससीईआरटी वर्चुअल कक्षाएं आयोजित करने के लिए विद्यालयों के शिक्षकों के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण भी कराएगा।