अजब MP का गजब स्कूल, 9 साल से लापता हैं मैडम, दूसरी 5 साल से अटैच, हर महीने समय से लेती हैं सैलरी | two school teacher missing from school

अजब MP का गजब स्कूल, 9 साल से लापता हैं मैडम, दूसरी 5 साल से अटैच, हर महीने समय से लेती हैं सैलरी

अजब MP का गजब स्कूल, 9 साल से लापता हैं मैडम, दूसरी 5 साल से अटैच, हर महीने समय से लेती हैं सैलरी

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:25 PM IST, Published Date : July 26, 2019/5:43 pm IST

बैतूल: मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के एक स्कूल की दो टीचर बीते नौ साल से लापता है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि दोनो टीचर बच्चों को अब भी कागजों पर पढ़ा रही है। उनकी तनख्वाह भी समय पर निकल रही है। यह अजीबोगरीब मामला धनिया जाम के सरकारी स्कूल का है, जहां दो टीचर कभी स्कूल तो नहीं आती। लेकिन विभाग के कागजातों में बच्चों को बाकायदा पढ़ा रही है। उनका नाम विभाग के पोर्टल पर भी दर्ज है। इस बड़ी अंधेरगर्दी का खामियाजा यहां पढ़ने वाले बच्चे भुगत रहे हैं। आलम ऐसा है कि इकलौता शिक्षक पांच कक्षाओं को पढ़ा रहा है।

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आखिर इस गोलमाल की हकीकत क्या है? अफसर क्या कहते हैं इस लापरवाही पर? इसके पहले इस मामले की सच्चाई जान लेते है। ये है चिचोली विकासखंड के धनियजाम का मिडिल स्कूल। यहां विभाग के पोर्टल पर स्कूल में टीचरों की उपस्थिति तो दिख रही है, लेकिन हकीकत में इस स्कूल में एक भी टीचर नहीं है। यही वजह है कि यह मिडिल स्कूल प्राइमरी स्कूल के एक अदद टीचर के भरोसे चल रहा है।

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दरअसल धनियाजाम के इस माध्यमिक स्कूल में 3 टीचरों की पोस्टिंग है, जिनमे से महिला टीचर मीना गणेशे जो कि पिछले 9 सालों से स्कूल ही नही आई है। वे 16 नवम्बर 2010 से बिना कोई सूचना के अनुपस्थित है। लेकिन आदिवासी विभाग की लापरवाही ही कहे इनका नाम एजुकेशन पोर्टल में इनकी उपस्तिथि दर्ज करा रहे हैं। दूसरी टीचर रजनी कटारे की पोस्टिंग स्कूल में है, लेकिन मैडम अपने रुतबे के चलते 7 नवम्बर 2014 से अपनी सुविधा वाले पाढर स्कूल में अटैच हैं। ये मेडम 5 साल से अटैचमेंट में है। यहां पदस्थ एक टीचर बड़करे की मौत हो चुकी है। इससे उनकी जगह भी खाली हो गई है। इस सरकारी मिडिल स्कूल में 70 बच्चे हैं, जिनको प्राथमिक शाला के एक शिक्षक एके पानकर पढ़ा रहे हैं। वरिष्ठ अध्यापक होने के नाते उन्हें यह प्रभार दिया गया है कि वह छठवीं से आठवीं तक के सभी बच्चों को पढ़ा रहे हैं।

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इस पूरे मामले में रोचक तथ्य यह है कि जिस शिक्षिका का 9 सालों से पता तक नहीं है, उनका नाम पोर्टल से अब तक नहीं हटाया गया है। यदि पोर्टल से उनका नाम हट चुका होता तो दूसरे शिक्षक की वहां पोस्टिंग हो सकती थी। कागजों पर इस स्कूल में सभी पद भरे होने के चलते न तो यहां दूसरे शिक्षकों की पोस्टिंग हो रही है और न ग्रामीण अथिति शिक्षक रख पाए रहे हैं। आदिवासियों के उत्थान के लिए काम कर रहा आदिवासी विकास विभाग की लापरवाही से आदिवासी बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है। विभाग को ये भी नहीं पता कि टीचर लापता हैं और उसका नाम पोर्टल पर दर्ज है। हालांकि लापता स्कूल टीचर की तनख्वाह रोकी हुई है पर दूसरी टीचर जो यहां से 50 किलोमीटर दूर स्कूल में अटैच कर दी गई है उसकी पेमेंट इस स्कूल से ही निकल रही है। अब इसे अजब एमपी का गजब स्कूल न कहे तो और क्या कहें।

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प्रभारी शिक्षक एके पानकर का कहना है कि मिडिल स्कूल में एक भी टीचर नहीं है। एक टीचर 9 साल से लापता है। दूसरी टीचर 5 साल से दूसरे स्कूल में अटैच हैं। एक टीचर की मौत हो गई है, जिसके बाद मुझे इस स्कूल का प्रभार दिया है।

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