नई दिल्ली: पश्चिमी और उत्तर-पश्चिमी भारत भर में विशाल टिड्डी दलों के पहुंचने के बीच, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (डीएसी एंड एफडब्ल्यू) राजस्थान, पंजाब, गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे प्रभावित राज्यों में टिड्डियों पर नियंत्रण पाने की कार्रवाइयों में तेजी लाए हैं। आज तक, ये टिड्डी दल राजस्थान के बाड़मेर, जोधपुर, नागौर, बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़, सीकर, जयपुर जिलों और मध्य प्रदेश के सतना, ग्वालियर, सीधी, राजगढ़, बैतूल, देवास, आगर मालवा जिलों में सक्रिय हैं।
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वहीं दूसरी ओर अब टिड्डियों के छत्तीसगढ़ में प्रवेश करने की संभावना जताई जा रही है। संचालक, कृषि टामन सिंह सोनवानी ने बताया कि टिड्डी दल सिंगरौली की तरह बढ़ा है, जो छत्तीसगढ़ राज्य के सीमावर्ती जिले कोरिया, सूरजपुर और बलरामपुर की ओर से छत्तीसगढ़ राज्य में प्रवेश कर सकता है। उन्होंने सभी जिला कलेक्टरों को टिड्डी दल के नियंत्रण हेतु आपदा प्रबंधन मद से आवश्यक व्यवस्था करने को कहा है। टिड्डी दल के संबंध में सूचनाओं के आदान-प्रदान तथा इनके नियंत्रण हेतु कृषकों को आवश्यक सलाह दिए जाने के लिए जिला स्तर पर नियंत्रण कक्ष भी स्थापित करने के निर्देश दिए गए हैं।
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वर्तमान में 200 टिड्डी सर्कल कार्यालय (एलसीओ) प्रभावित राज्यों के जिला प्रशासन और कृषि फील्ड मशीनरी के साथ तालमेल कायम करते हुए सर्वेक्षण और नियंत्रण कार्य कर रहे हैं। राज्य कृषि विभागों और स्थानीय प्रशासन के समन्वय के साथ टिड्डी नियंत्रण का कार्य जोरों पर हैं। अब तक राजस्थान के 21 जिलों, मध्य प्रदेश के 18 जिलों, पंजाब के एक जिले और गुजरात के 2 जिलों में टिड्डी नियंत्रण कार्य किया गया है। अनुसूचित रेगिस्तानी क्षेत्रों से परे टिड्डियों पर प्रभावी रूप से नियंत्रण पाने के लिए, राजस्थान के अजमेर, चित्तौड़गढ़ और दौसा; मध्य प्रदेश के मंदसौर, उज्जैन और शिवपुरी तथा उत्तर प्रदेश के झांसी में अस्थायी नियंत्रण शिविर स्थापित किए गए हैं।
अब तक (26.05.2020 तक), राजस्थान,पंजाब, गुजरात और मध्य प्रदेश में जिला प्रशासन और राज्य कृषि विभाग के साथ समन्वय करते हुए एलसीओ द्वारा कुल 303 स्थानों के 47,308 हेक्टेयर क्षेत्र में टिड्डियों पर नियंत्रण पाने की कार्रवाइयां की गई हैं। टिड्डियों पर प्रभावी रूप से नियंत्रण पाने के लिए कीटनाशकों के छिड़काव के लिए 89 दमकल गाडि़यों; 120 सर्वेक्षण वाहनों; छिड़काव करने वाले उपकरणों और 810 ट्रैक्टर माउंटेड स्प्रेयर युक्त 47 नियंत्रण वाहनों को आवश्यकता के अनुसार अलग-अलग दिनों के दौरान तैनात किया गया।
आमतौर पर, टिड्डी दल पाकिस्तान के रास्ते से भारत के अनुसूचित रेगिस्तान क्षेत्र में जून / जुलाई के महीने में मानसून के आगमन के साथ ग्रीष्मकालीन प्रजनन के लिए प्रवेश करते हैं। इस वर्ष हालांकि इन हॉपर और गुलाबी रंग की टिड्डियों का प्रवेश समय से काफी पहले हो गया है, जिसकी वजह पाकिस्तान में पिछले सीजन में टिड्डियों की अवशिष्ट आबादी की उपस्थिति बताई गई हैं, जिन्हें वह नियंत्रित नहीं कर सका था। राजस्थान और पंजाब के सीमावर्ती जिलों में 11 अप्रैल, 2020 से टिड्डी हॉपर और 30 अप्रैल, 2020 से गुलाबी अपरिपक्व वयस्क टिड्डियों के प्रवेश की सूचना मिल रही है, जिन्हें नियंत्रित किया जा रहा है। गुलाबी अपरिपक्व वयस्क ऊंची उड़ान भरते हैं और पाकिस्तान की तरफ से आने वाली पश्चिमी हवाओं के साथ एक दिन में एक स्थान से दूसरे स्थान तक की लंबी दूरी तय करते हैं। इनमें से अधिकांश गुलाबी अपरिपक्व वयस्क रात को पेड़ों पर ठहरते हैं और ज्यादातर दिन में उड़ान भरते हैं।
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इस वर्ष समय से पहले टिड्डी दलों के हमले से चिंतित केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने प्रभावित राज्यों में टिड्डियों पर नियंत्रण पाने की तैयारियों की समीक्षा के लिए 6 मई, 2020 को कीटनाशक निर्माताओं और सभी संबंधित हितधारकों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता की। कृषि मंत्री श्री तोमर के निर्देशों का पालन करते हुए 22 मई, 2020 को सचिव (डीएसी एंड एफडब्ल्यू) श्री संजय अग्रवाल की अध्यक्षता में पंजाब, राजस्थान, गुजरात मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के टिड्डियों के खतरे वाले जिलों के जिला प्रशासन और जिला कृषि अधिकारियों और एनडीएमए के प्रतिनिधियों के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। बैठक में राज्यों के साथ टिड्डी के बारे में जागरूकता फैलाने वाला साहित्य, एसओपी, स्वीकृत कीटनाशक और जागरूकताफैलाने वाले वीडियो साझा किए गए। इससे पहले, 5 मई, 2020 को राजस्थान, गुजरात और पंजाब के टिड्डी दल के हमले की आशंका वाले जिलों के प्रधान सचिव (कृषि) और डीएम के साथ सचिव, डीएसी एंड एफडब्ल्यू की अध्यक्षता में एक वीडियो कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। इसमें आवश्यक कार्रवाई करने के लिए टिड्डी दल के हमले की आशंका वाले राज्यों के साथ तैयारियों और तालमेल बनाए रखने की समीक्षा की गई।
भारत में एफएओ प्रतिनिधि के कार्यालय में 11 मार्च, 2020 को दक्षिण-पश्चिम एशियाई देशों में डेजर्ट लोकस्ट के बारे में एक उच्च-स्तरीय वर्चुअल बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक में चार सदस्य देशों (अफगानिस्तान, भारत, ईरान और पाकिस्तान) और एफएओ, रोम के प्लांट प्रोटेक्शन डिवीजन के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया था। इस बैठक में कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी और सचिव, डीएसी एंड एफडब्ल्यू ने भाग लिया था। इस बैठक में सदस्य देशों के तकनीकी अधिकारियों की स्काइप के माध्यम से प्रत्येक सोमवार को वर्चुअल बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया गया था और अब तक ऐसी नौ बैठकें हो चुकी हैं। राजस्थान, गुजरात, हरियाणा और पंजाब राज्यों को टिड्डी दल के हमले तथा उन पर प्रभावी नियंत्रण के लिए आवश्यक उपायों और फसल वाले क्षेत्रों में असरदार कीटनाशकों के उपयोग के बारे में परामर्श जारी किए गए हैं।
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वर्तमान में टिड्डी नियंत्रण कार्यालयों में 21 माइक्रोनेयर और 26 उल्वामास्ट (47 छिड़काव उपकरण) हैं, जिनका उपयोग टिड्डियों पर नियंत्रण पाने के लिए किया जा रहा है। कृषि मंत्री श्री तोमर के अनुमोदन पर, अतिरिक्त 60 स्प्रेयर्स के लिए मेसर्स माइक्रोन, ब्रिटेन को सप्लाई ऑर्डर दिया गया है। ऊंचे पेड़ों और दुर्गम क्षेत्रों पर प्रभावी नियंत्रण के लिए कीटनाशकों के एरियल स्प्रे हेतु ड्रोन सेवाएं प्रदान करने वाली एजेंसियों को सूचीबद्ध करने के लिए ई-निविदा आमंत्रित की गई है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने 21 मई, 2020 को ‘’टिड्डियों पर नियंत्रण पाने संबंधी कार्रवाइयों के लिए रिमोट पाइलेटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम के उपयोग के लिए सरकारी इकाई (डीपीपीक्यूएस) को सशर्त छूट” को मंजूरी प्रदान की है और इस आदेश के अनुसार, टिड्डियों पर नियंत्रण के लिए कीटनाशकों के छिड़काव हेतु ड्रोन के उपयोग के लिए निविदा के जरिए दो कम्पनियां तय की गई हैं।
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इस बीच, नियंत्रण क्षमता को मजबूत बनाने के लिए अतिरिक्त 55 वाहनों की खरीद के लिए आपूर्ति आदेश दिया गया है। टिड्डी नियंत्रण संगठनों के पास कीटनाशकों का पर्याप्त भंडार (53,000 लीटर मैलाथियान) बनाए रखा जा रहा है। कृषि यांत्रिकीकरण पर उप-मिशन के तहत, राजस्थान के लिए 2.86 करोड़ रुपये की लागत से 800 ट्रेक्टर माउंटेड स्प्रे उपकरणों की सहायता स्वीकृत की गई है। इसके अलावा, वाहनों, ट्रैक्टरों को भाड़े पर लेने और कीटनाशकों की खरीद के लिए आरकेवीवाई मंजूरी के तहत 14 करोड़ रुपये मूल्य राजस्थान के लिए जारी किए गए हैं। वाहनों, छिड़काव उपकरणों, सेफ्टी यूनिफॉर्म, एंड्रॉइड एप्लिकेशन की खरीद और प्रशिक्षण के लिए 1.80 करोड़ रुपये की लागत से आरकेवीवाई मंजूरी गुजरात के लिए भी जारी की गई है।
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एफएओ के 21 मई, 2020 के लोकस्ट स्टेट्स अपडेट के अनुसार, पूर्वी अफ्रीका में वर्तमान स्थिति बेहद चिंताजनक बनी हुई है जहां यह खाद्य सुरक्षा और आजीविका के लिए एक अभूतपूर्व खतरा बना हुआ है। नए टिड्डी दल भारत-पाकिस्तान सीमा के दोनों ओर के साथ-साथ सूडान और पश्चिम अफ्रीका के ग्रीष्मकालीन प्रजनन क्षेत्रों में दाखिल होंगे। जैसे-जैसे वनस्पति सूखती जाएगी, इनके और अधिक झुंड और दल तैयार होंगे और इन क्षेत्रों से भारत-पाकिस्तान सीमा के दोनों ओर ग्रीष्म प्रजनन क्षेत्रों का रुख करेंगे। भारत-पाकिस्तान सीमा से सटे क्षेत्रों में जून के शुरुआती दिनों के दौरान अच्छी बारिश का पूर्वानुमान व्यक्त किया गया है, जो इनके लिए अंडे देने हेतु अनुकूल है ।
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वर्ष 2019-20 के दौरान, भारत में बड़े पैमाने पर टिड्डियों का हमला हुआ, जिसे सफलतापूर्वक नियंत्रित किया गया। 21 मई, 2019 से लेकर 17 फरवरी 2020 तक, कुल 4,03,488 हेक्टेयर क्षेत्र का उपचार किया गया और टिड्डियों को नियंत्रित किया गया। इसके साथ ही, राजस्थान और गुजरात के राज्य कृषि विभाग ने राज्य के फसल वाले क्षेत्रों में टिड्डियों पर नियंत्रण पाने के लिए तालमेल किया। वर्ष 2019-20 के दौरान, राजस्थान के 11 जिलों के 3,93,933 हेक्टेयर क्षेत्र; गुजरात के 2 जिलों के 9,505 हेक्टेयर क्षेत्र और पंजाब के 1 जिले के 50 हेक्टेयर क्षेत्र में नियंत्रण कार्य किए गए । 16-17 जनवरी 2019 को भारत का दौरा करने वाले एफएओ के सीनियर लोकास्ट फोरकास्टिंग ऑफिसर ने टिड्डियों को नियंत्रित करने में भारत की ओर से किए गए प्रयासों की सराहना भी की।
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टिड्डी नियंत्रण संगठन और जिला प्राधिकरण तथा राज्य कृषि विभाग के अधिकारी प्रतिदिन प्रातकाल के समय एलसीओ के कंट्रोल स्प्रे व्हीकल्स, ट्रैक्टर माउंटेड स्प्रेयर्स और दमकल गाडि़यों के साथ टिड्डी नियंत्रण कार्य कर रहे हैं। अपरिपक्व टिडि्डयां बहुत सक्रिय हैं और उनकी गतिशीलता इस दल को एक स्थान पर नियंत्रित करना मुश्किल बना देती है और विभिन्न स्थानों पर किसी विशेष टिड्डी दल को नियंत्रित करने में 4 से 5 दिन का समय लगता है।
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टिड्डी एक सर्वाहारी और प्रवासी कीट है और इसमें सामूहिक रूप से सैकड़ों किलोमीटर उड़ने की क्षमता होती है। यह दो देशों की सीमाओं के आर-पार जाने वाला या ट्रांस-बॉर्डर कीट है और विशाल दल में फसल पर हमला करता है। अफ्रीका, मध्य पूर्व और एशिया में पाया जाने वाला यह कीट करीब 60 देशों में पाया जाता है और यह पृथ्वी की भू सतह के वन-फिफ्थ हिस्से को कवर कर सकते हैं। डेजर्ट लोकस्ट की विपत्ति विश्व की मानव आबादी के दसवें हिस्से की आर्थिक आजीविका के लिए खतरा बन सकती है। ग्रीष्म मानसून सीजन के दौरान अफ्रीका / खाड़ी / दक्षिण पश्चिम एशिया से ये टिड्डी दल भारत में दाखिल होते हैं और वसंतकालीन प्रजनन के लिए ईरान, खाड़ी और अफ्रीकी देशों की ओर लौट जाते हैं।
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भारत में 2 लाख वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र अनुसूचित रेगिस्तान क्षेत्र के अंतर्गत आता है। टिड्डी चेतावनी संगठन और भारत सरकार के 10 टिड्डी सर्कल कार्यालय (एलसीओ) राजस्थान (जैसलमेर, बीकानेर, फलोदी, बाड़मेर, जालौर, चुरू, नागौर, सूरतगढ़) और गुजरात (पालमपुर और भुज) राज्य सरकारों के साथ समन्वय करते हुए अनुसूचित रेगिस्तान क्षेत्र में डेजर्ट लोकस्ट के नियंत्रण, निगरानी, सर्वेक्षण के लिए उत्तरदायी हैं।
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