भोपाल: प्रदेश में माफिया के खिलाफ मुहिम जारी है। कड़े निर्देश हैं कि प्रदेश में किसी भी तरह से माफिया को पनपने ना दिया जाए, उन्हें जड़ से उखाड़ने लगातार कार्रवाई का दावा भी है। फिर भी माफिया है कि मानता नहीं प्रदेश में खतरनाक होता खनन माफिया ना गुंडागर्दी से परहेज करता है, ना गोली चलाने से कोई परहेज। भिंड में एक बार फिर रेत खनन को लेकर गोली चली और एक ट्रैक्टर चालक की मौत हो गई। चिंता की बात तो ये कि ऐसा एक नहीं कई बार होता रहा है, जब जमीन पर काम करने वाले अमले और पुलिस तक पर फायरिंग हुई है। बड़ा सवाल ये कि आखिर इतनी सख्ती, इतनी चौकसी के बाद भी माफिया पर कंट्रोल क्यों नहीं हो पा रहा? क्या किसी का संरक्षण है?
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ये भिंड में अवैध रेत खनन को हो रहे संघर्ष की तस्वीरें हैं। मामला गहेली सायना रोड का हैं जहां दो युवक ट्रैक्टर में रेत लेकर जा रहे थे। तभी रेत खनन करने वाली कंपनी के लोग आए और रॉयल्टी दिखाने को कहा इस दौरान विवाद इतना बढ़ा कि कंपनी के कर्मचारियों ने फायरिंग कर दी जिसमें एक ट्रैक्टर चालक की मौत हो गई जबकि एक जख्मी हो गया।
अब ये कोई इकलौता मामला नही है , अवैध रेत खनन को लेकर पहले भी विवाद होता रहा है। 5 फरवरी को ग्वालियर में रेत माफिया ने पुलिस पर गोलियां चलाईं, जिसमें टीआई समेत 5 पुलिसकर्मी घायल हो गए। ग्वालियर के ही घाटीगांव में 7 फरवरी को पुलिस टीम पर हमला हुआ, ग्वालियर के तिघरा में 11 फरवरी को भी पुलिस टीम पर हमला हुआ। अगले ही दिन 12 फरवरी को लुहारी खदान पर पुलिस पर फायरिंग हुई। 2 और 3 फरवरी की रात को दतिया में रेत माफिया ने कंस्ट्रक्शन कंपनी की सुरक्षा में तैनात एसआईएसएफ को जवान में गोली मार दी। ये जो आपने देखा वो फरवरी का हाल है, लेकिन ऐसा लगभग पिछले कई महीनों से जारी है। कृषि मंत्री कमल पटेल भी अवैध रेत खनन नहीं रोकने को लेकर नरसिंहपुर कलेक्टर पर आरोप लगा चुके हैं। जाहिर अवैध रेत खनन प्रदेश में बड़ा मुद्दा है और कांग्रेस इसके लिए सरकार को कटघरे मे खड़ा कर रही है।
ग्वालियर चंबल इलाके में खनन को लेकर अक्सर विवाद की स्थिति बनती है। इसके अलावा कांग्रेस सरकार के समय लागू की गई नई रेत खनन नीति भी विवाद की एक बड़ी वजह है क्योंकि नई नीति के मुताबिक हर जिले मे बड़े समूह को ठेके दिए गए है।