भोपाल । मध्यप्रदेश में 65 साल बाद 1 जुलाई से नई वित्तीय संहिता लागू होने जा रही है, जिसमें ट्रेजरियों से होने वाले सभी भुगतान ऑनलाइन कर दिए गए हैं यानी पेपरलेस। इससे हर साल 9 हजार क्विटंल कागज की बचत होगी। इस कागज को तैयार करने में 7500 हरे भरे पेड़ों को काटा जाता है, जिस पर रोक लगेगी। साथ ही 100 करोड़ रुपए की बचत होगी।
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नई वित्तीय व्यवस्था में लेन-देन के तरीकों को आसान बनाया है। अभी तक ट्रेजरियों से भुगतान की व्यवस्था थी, जिसमें बिल पास होने के बाद ही नकदी का भुगतान होता था। इसके लिए वहां नकदी व सिक्के समेत अन्य अमानती सामान रखना पड़ता था। यह सब काम बैंकों को दे दिया है।
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मध्यप्रदेश में वित्तीय संहिता 1955 में बनी थी।प्रदेश में 57 ट्रेजरी व 156 सब ट्रेजरी हैं। इनमें एक नई दिल्ली में है। इनसे हर 15 दिन में 415 क्विंटल कागज दस्तावेजों के रूप में महालेखाकार कार्यालय ग्वालियर भेजे जाते थे। हर साल यह कागज 9 हजार क्विंटल होता है। इन्हें ले जाने हर ट्रेजरी से एक वरिष्ठ अधिकारी व 5 कर्मचारियों की ड्यूटी लगती थी। यह व्यवस्था खत्म कर दी है। सभी ट्रेजरियों से अब ऑनलाइन रिकॉर्ड भेजे जाएंगे।