रायपुर: बोर्ड परीक्षा के होनहार छात्रों को हर साल सरकार की ओर से सम्मान राशि और लैपटॉप का वितरण किया जाता है। लेकिन पिछले साल पास हुए होनहारों को अब तक अपनी सम्मान राशि का इंतजार है। साल गुजर जाने के बाद भी छात्रों को न तो सम्मान राशि मिली और न लैपटाप। 2019 के हाई स्कूल,हायर सेकेण्डरी और हायर सेकेण्डरी व्यवसायिक परीक्षा के 56 टॉपरों को किश्तो में राशि देने मंडल ने जानकारी तो मंगाई गई, लेकिन टॉपरों को दी जाने वाली सवा लाख की राशि देने की बात केवल जानकारी में सिमट कर रह गई।
दरअसल साल 2019 की बोर्ड परीक्षाओं में 56 होनहार छात्रों ने सफलता का परचम लहराकर अपनी आंखों में कई सपने बुने थे। लेकिन आज की स्थिति में सपने धुंधले होते दिखाई दे रहे हैं। डिजिटल जमाने की दुनिया में अपने सपने को पाने की चाह रखने वाले इन बच्चों को एक साल से लैपटॉप मिलने की उम्मीदे हैं। लेकिन लंबे इंतजार के चलते बच्चों की उम्मीद पर पानी फिरता नजर आ रहा है। इंतजार करके थक चुके टॉपरों ने अब खुद छत्तीसगढ़ सरकार से गुहार लगाई है और जल्द से जल्द उन्हें सम्मान राशि और लैपटॉप वितरण किए जाने की मांग की है।
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टॉपरों की सम्मान राशि और लैपटॉप की बात करें तो बोर्ड परीक्षाओं के टॉपरों को सवा लाख की सम्मान राशि और लैपटॉप का वितरण किया जाता है। साल 2019 में बोर्ड परीक्षा की स्थाई प्रावीण्य सूची में कुल 56 होनहारों ने अपनी जगह बनाई थी, जिसके बाद मंडल की ओर से दो किश्तो में टॉपरों को राशि देने की बात कही गई थी। पहली किश्त दिसंबर 2019 और दूसरी किश्त फरवरी 2020 में छात्रों को मिलना था। दिसंबर के साथ साथ फरवरी का महीना बीते भी महीनों हो गए, लेकिन अभी भी एकाउंट में राशि नहीं पहुंची और न ही लैपटॉप वितरण के लिए कोई आयोजन किया गया।
मंडल के अनुसार सभी टॉपरों की बैंक अकाउंट की जानकारी मंगाई जा चुकी है। फिर भी राशि देने में क्यों लेटलतीफी की जा रही है? ये समझ से परे है। माध्यमिक शिक्षा मंडल इस मामले पर महीनों पहले दिए गए जवाब को आज भी दोहराता हुआ नजर आया कि जल्द ही बच्चों के अकाउंट में राशि पहुंचा दी जाएगी। लेकिन कब ये मंडल को भी नहीं पता।
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माध्यमिक शिक्षा मंडल के सचिव वीके गोयल ने बताया कि प्रदेश के प्रतिभावन बच्चों को अपने सपनों की उड़ान भरने, सरकार की तरफ से सम्मान राशि और लैपटॉप का वितरण करने की योजना चलाई तो जा रही है लेकिन हर साल यही तस्वीर होती है कि टॉपरों को समय पर योजना का लाभ नहीं मिल पाता। नतीजा ये निकलता है कि छात्र आर्थिक स्थिति की परेशानी के बीच निराश होकर कभी महीनों तो कभी सालों इंतजार ही करते ही रह जाते हैं। ना तो सरकार का इस ओर ध्यान होता है और न ही अधिकारियों का। देखना होगा कि कब बच्चों की उम्मीद और इंतजार का फासला खत्म होता है।