'रेशम कीट पालन' बना वनांचल के आदिवासी किसानों के लिए आय का जरिया, हो रही भरपूर आमदनी | 'Silkworm rearing' becomes a source of income for tribal farmers of Vananchal

‘रेशम कीट पालन’ बना वनांचल के आदिवासी किसानों के लिए आय का जरिया, हो रही भरपूर आमदनी

'रेशम कीट पालन' बना वनांचल के आदिवासी किसानों के लिए आय का जरिया, हो रही भरपूर आमदनी

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:14 PM IST, Published Date : October 13, 2020/4:22 pm IST

रायपुर: वनांचल के आदिवासी किसानों के लिए रेशम कीट पालन अतिरिक्त आय का जरिया बन गया है। जशपुर जिले के फरसाबहार विकासखण्ड के ग्राम जोरण्डाझरिया के लगभग 10-12 श्रमिकों ने टसर ककून का उत्पादन से रोजगार के संबंध में अपनी रुचि दिखाई। इनकी रुचि और इच्छाशक्ति को देखते हुए रेशम विभाग ने इनका एक समूह बनाया और इन्हें कुशल कीटपालन का प्रशिक्षण दिया गया। इस समूह को कृमिपालन के लिए टसर कीट के रोगमुक्त अण्डे भी निःशुल्क दिए गए। इस समूह के द्वारा वर्ष 2016-17 में पहली बार एक लाख 38 हजार 926 टसर कोकून का उत्पादन किया गया और उससे एक लाख 10 हजार 214 रुपये की आय अर्जित की गई। पहले महात्मा गांधी नरेगा से मजदूरी और उसके बाद कोसाफल उत्पादन के रुप में सहायक रोजगार ने समूह के सदस्यों को इस कार्य में उत्साही बना दिया है। समूह ने वर्ष 2016-17 से 2019-20 तक कुल 2 लाख 75 हजार 454 कोसाफलों का उत्पादन कर दो लाख 88 हजार रुपयों की आमदनी प्राप्त की है। यह आय उन्हें मजदूरी के रुप में विभाग के द्वारा स्थापित ककून बैंक के माध्यम से प्राप्त हुई।

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जशपुर जिला मुख्यालय से 125 किलोमीटर दूर फरसाबहार विकासखण्ड में ग्राम जोरण्डाझरिया में अर्जुन पौधा रोपण और संधारण कार्य में लगभग 161 लोगों को 7 हजार 143 मानव दिवस का रोजगार मिला है। मनरेगा के माध्यम से कराए जा रहे इन कार्यों में 9 लाख 68 हजार रूपए का मजदूरी भुगतान किया गया है। जोरण्डाझरिया में रेशम विभाग द्वारा 59 हेक्टेयर क्षेत्र में लगभग दो लाख 61 हजार अर्जुन के पौधे लगाए गए हैं। जो अब हरे-भरे पेड़ के रूप में हरियाली बिखेर रहे हैं। जोरण्डाझरिया गाँव में हुए इस टसर पौधरोपण ने हरियाली से विकास की एक नई दास्तां लिख दी है। इसके साथ ही गाँव का 59 हेक्टेयर क्षेत्र संरक्षित होकर अब दूर से ही हरा-भरा नजर आता है। इस गाँव में टसर खाद्य पौधरोपण एवं कोसाफल उत्पादन से आदिवासी परिवारों को रोजगार देने का काम हो रहा है। करीब एक दशक पहले इस गाँव में रेशम विभाग ने विभागीय मद से 50 हेक्टेयर क्षेत्र में 2 लाख 5 हजार अर्जुन पौधे टसर खाद्य पौधरोपण के अंतर्गत रोपे थे।

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