भोपाल। संघ प्रमुख मोहन भागवत आज से 7 नवंबर तक भोपाल प्रवास पर रहेंगे ।
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राष्ट्रीय स्वयं सेवक के सरसंघ चालक मोहन भागवत 5 और 6 नवंबर को क्षेत्रीय कार्यकारी बैठक में शामिल होंगे।
क्षेत्रीय कार्यकारी बैठक में सरकार्यवाह भैयाजी जोशी भी मौजूद रहेंगे।
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बता दें कि प्रदेश में शिवराज सरकार की किस्मत का फैसला 10 नवंबर को होगा, इससे पहले संघ प्रमुख का भोपाल दौरा अहम माना जा रहा है।
इससे पहले विजयादशमी के दिन संघ मुख्यालय नागपुर में शस्त्र पूजा के दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपने उद्बोधन में देश के कई अहम मुद्दों पर बेबाकी से अपनी राय व्यक्त की थी। मोहन भागवत ने चीन मामले पर पीएम मोदी की खुले दिल से तारीफ करते हुए चीन के विश्वाससघाती रवैये से आगाह भी कराया।
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संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कोरोना महामारी में चीन का नाम आता है। पता नहीं क्या है। शंकाएं हैं। लेकन चीन इस समय में अपने और सामरिक बल के गुरुर में हमारी सीमाओं का जो अतिक्रमण किया और जिस प्रकार किया और कर रहा है पूरी दुनिया के साथ, यह पूरी दुनिया के सामने है।
वहीं भारतीय लोगों के एकजुट होने का उल्लेख करते हुए भागवत ने कहा कि चीन को पहली बार हमारी ताकत का अहसास हुआ होगा। उसे अब समझ जाना चाहिए। जो चीन की तरह सोचते हैं, उनको समझ जाना चाहिए कि हम इतने कच्चे नहीं हैं। ऐसी स्थिति कभी भी आएगी तो हमारी तैयारी, दृढ़ता और सजगता कम नहीं है।
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आरएसएस प्रमुख भागवत ने कहा, ‘चीन के विस्तारवादी स्वभाव को सब जानते हैं। इस बार उसने एक साथ ताइवान, वियतनाम, अमेरिका, जापान और भारत के साथ विवाद मोल लिया है। भागवत ने 1962 का जिक्र किए बिना कहा कि इस बार अंतर है। इस बार भारत ने उसकी हरकत के खिलाफ उसकी जो प्रतिक्रिया दी, उसके कारण वह सहम गया। उसको धक्का लगा है,उसके समक्ष भारत मजबूती से खड़ा हो गया। भारत के वीर जवानों और देश के नगरिकों ने अपनी देशभक्ति का परिचय दिया।’
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विजयादशमी पर अपने संबोधन पर सरसंघ चालक मोहन भागवत ने कहा कि सामरिक और आर्थिक दृष्टि से चीन को बड़ा झटका लगा है। वहीं दुनिया के अन्य देशों ने भी चीन के खिलाफ अपनी रणनीति बदली है। दुनिया उसके सामने खड़ा होना शुरू किया है। हालांकि भागवत ने चीन के खिलाफ आगाह करते हुए अब और सजग रहने की जरूरी है। क्योंकि जो नहीं सोचा था, वह परिस्थिति उसके सामने खड़ी हो गई है। उसकी प्रतिक्रिया में वह क्या करेगा, पता नहीं। इसका उपाय सावधानी और सामरिक तैयारी है। सामरिक,आर्थिक और कूटनीतिक में हमें चीन से बड़ा होना पड़ेगा। हमको यह करते रहना पड़ेगा, ऐसा करेंगो तो ही चीन को रोक पाएंगे।