धर्म/पर्यटन : असीरगढ़ किले की शान है विशाल जामा मस्जिद, अंग्रेजों का बनाया गिरिजाघर भी है आकर्षण का केंद्र | Religion / Tourism: The huge Jama Masjid is the pride of the Asirgarh Fort. The church built by the British is also a center of attraction

धर्म/पर्यटन : असीरगढ़ किले की शान है विशाल जामा मस्जिद, अंग्रेजों का बनाया गिरिजाघर भी है आकर्षण का केंद्र

धर्म/पर्यटन : असीरगढ़ किले की शान है विशाल जामा मस्जिद, अंग्रेजों का बनाया गिरिजाघर भी है आकर्षण का केंद्र

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:19 PM IST
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Published Date: June 15, 2020 9:39 am IST

बुरहानपुर। आसमान छूतीं मीनारें..असीरगढ़ किले की शान हैं। क़िले के अंदर स्थापित है जामा मस्जिद । काले पत्थरों से बनाई गई जामा मस्जिद फारूखी काल के निर्माण का शानदार नमूना है । इस मस्जिद की लंबाई 135 फीट और चौड़ाई 40 फीट है । मस्जिद की छत 50 स्तंभों पर टिकी हुई है। इसकी 13 मेहराबें और 4 दालानें हैं। इस मस्जिद में क़रीब 1200 लोग एक साथ नमाज पढ़ सकते हैं। मस्जिद के बीचों बीच एक बड़ा चबूतरा है। दालान से सटी हुईं एक जैसी दो मीनारे भी हैं, जिनकी लंबाई करीब 80 फीट है। इन मीनारों के अंदर घुमावदार सीढ़ियां बनी हुई हैं लेकिन अब ऊपर तक पहुंचने का रास्ता बंद हो चुका है। मस्जिद की बाई ओर एक कुआं भी है। मस्जिद की दक्षिणी दीवार पर एक शिलालेख मौजूद है…जिस पर आयतें अंकित हैं।यहां स्थापित जामा मस्जिद में मुस्लिम धर्मावलंबियों की गहरी आस्था है।

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मस्जिद के सामने ही एक चर्च और पादरी घर भी मौजूद है, जिन्हें साल 1876 में अंग्रेजों ने बनवाया था । । चर्च के पास ही एक रसोई घर मौजूद है, जहां अंग्रेजों के लिए खाना बनता था । इसके अलावा एक अस्तबल भी है…जहां अंग्रेजी हुकूमत के दौर में सैनिकों के घोड़े बंधते थे । मस्जिद और गिरजा घर के बीच एक विशाल वट वृक्ष तना खड़ा है, ऐसा अनुमान है कि ये पेड़ मुगलकालीन है।

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किले के चारों तरफ़ नज़र दौड़ाएं तो विशाल घाटियां दिखाई देने लगती हैं। इन्हीं घाटियों के बीच स्थित हैं अंग्रेजों के बनाए बैरक। यहीं रानियों का एक तालाब भी है। इसके आगे एक बारूद खाना है। असीरगढ़ क़िले में कुल 5 तोप खाने हैं,जहां से दुश्मन पर हमला किया जाता था । तोप खाने की नीचे उतरते ही एक फांसी घर भी है। जहां गुनहगारों को फांसी दी जाती थी । क़िले के अंदर जैसे-जैसे आगे बढ़ते हैं…वैसे-वैसे इतिहास की नायाब निशानियों से आंखें चार होती जाती हैं । यानी इस क़िले में आप जितना घूमेंगे…उतना ही आप हैरत में पड़ते जाएंगे । कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि असीरगढ़ का ये क़िला किसी अजायबघर से कम दिलचस्प नहीं है।

 
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