रायपुर: असम की सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस हाईकमान ने छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश एंड टीम को जिम्मेदारी सौंपी है, लिहाजा पहले दिन से मुख्यमंत्री समेत छत्तीसगढ़ कांग्रेस की बड़ी फौज असम में मोर्चा संभाली हुई है। चुनावी सभा और रैलियों में छत्तीसगढ़ मॉडल की गूंज सुनाई दे रही है। इसी बीच असम दौरे पर पहुंचे राहुल गांधी ने भी छत्तीसगढ़ का उदाहरण देते हुए कहा कि कांग्रेस ने जो कहा, वो करके दिखाया। हालांकि रमन सिंह को राहुल की बात रास नहीं आई, पूर्व मुख्यमंत्री ने ट्वीट करते हुए जवाब दिया कि “विज्ञापनों के झूठ” से बाहर आकर “सत्य का ज्ञान” कीजिए राहुल जी। छत्तीसगढ़ आकर देखिए 36 में से 1 वादा भी पूरा नहीं कर पाई छत्तीसगढ़ सरकार। रमन सिंह ने राहुल के बहाने राज्य सरकार को घेरा तो कांग्रेस ने भी तुरंत आईना दिखाया।
कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा कि हमने छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्यप्रदेश में स्पष्ट किया था कि हम जो वादे करेंगे, उन वादों को पूरा करके दिखाएंगे, ये वादे खोखले नहीं होंगे, छत्तीसगढ़ में हमने कर्जमाफी करके दिखाई। कांग्रेस के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पर पोस्ट इसी ट्वीट को रिट्वीट करते हुए छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने राहुल गांधी और भूपेश सरकार पर एक बार फिर हमला बोला है। रमन सिंह ने लिखा कि कितना झूठ बोलेंगे राहुल गांधी जी। आप छत्तीसगढ़ आइए और ‘विज्ञापनों के झूठ’ से बाहर आकर ‘सत्य का ज्ञान’ कीजिए। शराबबंदी, एक लाख रोजगार, 2500 रुपए बेरोजगारी भत्ता, 2500 रुपए धान का MSP, वृद्धा पेंशन समेत अन्य वादे अब तक पूरे नहीं हुए। 36 में से 1 वादा भी पूरा नहीं कर पाई छत्तीसगढ़ सरकार।
रमन सिंह ने राहुल गांधी के बहाने राज्य सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया तो, कांग्रेस ने भी पलटवार करने में देरी नहीं की। पीसीसी संचार प्रमुख शैलेष नितिन त्रिवेदी ने जवाबी हमला किया कि वादाखिलाफी तो बीजेपी सरकार की फितरत है। रमन सिंह झूठा आरोप न लगाएं, जिसने वादाखिलाफी की आज वो 15 सीटों पर सिमट गया है।
भूपेश सरकार को छत्तीसगढ़ की सत्ता संभाले ढाई साल से ज्यादा का वक्त बीत गया हो, लेकिन वक्त और नजाकत देख बीजेपी अधूरे चुनावी वादों को लेकर सरकार को कठघरे में खड़ा करने से नहीं चुकती। ऐसे में जब असम के अखाड़े में कांग्रेस के लिए राहुल गांधी और सीएम भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ मॉडल का गुणगान कर वोटरों को लुभाने की कोशिश कर रहे तो, बीजेपी काउंटर अटैक में पीछे नहीं है। बहरहाल, चुनावी वादों पर हुआ न तो ये पहला विपक्षी हमला है, और ना ही सरकार की तरफ से आया पहला पलटवार। ऐसे में बड़ा सवाल है कि इस अंतहीन लड़ाई से प्रदेश की जनता की भलाई होगी?
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