रायपुर: लोकसभा चुनाव 2019 में जीत दर्ज कर पहली बार लोकसभा पहुंचे राजनांदगांव सांसद संतोष पांडेय ने सदन में छत्तीसगढ़ी भाषा का मुद्दा उठाया। उन्होंने छत्तीसगढ़ी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए सदन में अपना पक्ष रखा। इस दौरान उन्होंने सदन में एक चौपाई बोलकर ‘निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल, बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटन न हिय के सूल’ छत्तीसगढ़ी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की बात कही।
सांसद संतोष पांडेय ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वजपेयी ने छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण किया था। छत्तीसगढ़ को राज्य बने 19 साल हो गए। छत्तीसगढ़ी सहोदर, सरल, और सहज भाषा है। छत्तीसगढ़ी भाषा हिंदी का ही एक अंग है। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने बैरिटस्टर छेदी लाल, पंडित सुंदर लाल शर्मा और मिनी माता का जिक्र करते हुए कहा कि इन सभी की इच्छा थी कि छत्तीसगढ़ी को भाषा का दर्जा मिले। प्रदेश में 83 प्रतिशत ऐसे लोग हैं छत्तीसगढ़ी बोली बोलते हैं।
इस दौरान संतोष पांडेय ने ग्रामीण विकास के मुद्दे पर भी अपनी राय सदन में पेश की। उन्होंने कहा कि 1947 के बाद से देश में स्वराज तो आया लेकिन सुराज नहीं आया। उस समय की कांग्रेस सरकार ने केवल ग्रामीणों, गरीबों और वंचितों को गरीबी से उबारने की बात की लेकिन वे सिर्फ बातें ही रही, लेकिन 2014 के बाद से भाजपा सरकार ने उनकी इस पीड़ा को समझा और गरीबों के लिए कई योजनाएं लेकर आई जिससे आज उन्हें लाभ मिल रहा है।
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