भोपाल: होली का नाम सुनते ही सबसे पहले याद आते हैं रंग, उमंग और मस्ती भरा माहौल, लेकिन इस वक्त प्रदेश-देश में फैलते-बढ़ते कोरोना केस के चलते कई बंदिशों का असर रहने वाला है। सरकार और प्रशासन का मंशा है कि सख्ती कर तेजी से बढ़ते कोरोना मामलों को संभाला जाए। इसके लिए क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप सतत मीटिंग कर गाइड लाइन लागू कर रहा है, जिनमें सख्ती भरे निर्देश शामिल हैं। लेकिन जनभावना और परंपरा का हवाला देते हुए कुछ नेता इन पाबंदियों की खिलाफत कर रहे हैं। कुछ सवाल उठा रहे हैं, क्या वो सवाल हैं और क्या इसके पीछे उनके तर्क हैं?
ना आसमान में भरपूर उड़ता गुलाल, ना युवाओं की मस्त टोलियां और ना बच्चों की भरपूर मस्ती भरी हुल्लड़। रंगो के त्यौहार होली की उमंग पर इस बार भी बढते कोरोना संक्रमण का साया मंडरा रहा है। यानि पिछले साल की तरह इस बार की होली भी फीकी रहने के आसार हैं। राज्य सरकार के निर्देश के बाद हर जिले में क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप की बैठकों में सख्ती भरी गाइडलाइन सामने आ रही हैं। इंदौर और भोपाल में होलिका दहन पर पहले से संडे लॉकडाउन रहेगा। सोमवार को दोनों ही जगह होली के दिन आवाजाही बंद रहेगी। यानि लोग घर पर ही होली मना सकेंगे, सार्वजनिक जगहों पर होली प्रतिबंधित है, होली पर निकलने वाले गेर, जुलूस, रैली पर प्रतिबंध है। इंदौर में होलिका दहन पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है।
फैलते संक्रमण के बीच इस सख्ती भरे निर्देशों का कुछ बीजेपी और कांग्रेस नेता विरोध कर रहे हैं। बीजेपी के प्रवक्ता उमेश शर्मा ने इंदौर में क्राइसिस मैनेजमेंट के फैसले मानने से इनकार किया। कैलाश विजयवर्गीय ने भी इसे आपत्तिजनक बताया। वहीं, कांग्रेस नेताओं ने तो दो-टूक कह दिया कि ये सरासर मनमानी है वो तो होली जलाएंगे भी मनाएंगे भी। पार्टियां अलग-अलग हैं। लेकिन फिर भी कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला और विशाल पटेल ने क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप के फैसले का विरोध जताने वाले BJP प्रदेश प्रवक्ता उमेश शर्मा से मिलकर उन्हें गुलाल लगाई, जो खासा चर्चा का विषय बना। जब मामले ने तूल पकड़ना शुरू किया तो प्रदेश प्रवक्ता उमेश शर्मा ने विरोध पर सफाई भी दी।
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सियासत अपनी जगह है लेकिन आंकड़ो पर नजर डाले तो प्रदेश में कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। पॉजिटिव मरीजों की संख्या एक दिन में 1800 के ज्यादा पहुंच चुकी है। मौजूदा हालात के मद्देनजर सीएम भी लगातार कोरोना की समीक्षा कर रहे हैं। सख्ती बढ़ाने के संकेत दे रहे हैं।
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नेताओं की बयानबाजी और कोरोना के आंकड़ों से उलट आम जनता के भी कुछ सवाल हैं। जनता कहती है कि जब कोरोना काल में उपचुनाव हो सकते हैं। रैलियां, रोड शो और आमसभा हो रही है, मॉल्स खुल सकते हैं। क्या वहां कोरोना नहीं फैलता? नेता सवाल उठा रहे हैं कि जब सब कुछ चालू हो सकता है? तो फिर होली और शब-ए-बरात की अनुमति क्यों नहीं मिल सकती। बहरहाल,बड़ा सवाल ये है कि इस आपदा में नेताओं का ये विरोध आमजन की आवाज है या सियासी पैंतरा?