'सब्र और समय सबसे ताकतवर योद्धा हैं', राहुल गांधी के कथन पर सिंधिया ने की लंबी प्रतीक्षा | 'Patience and time are the most powerful warriors' Scindia waited for long on Rahul Gandhi's statement

‘सब्र और समय सबसे ताकतवर योद्धा हैं’, राहुल गांधी के कथन पर सिंधिया ने की लंबी प्रतीक्षा

'सब्र और समय सबसे ताकतवर योद्धा हैं', राहुल गांधी के कथन पर सिंधिया ने की लंबी प्रतीक्षा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:28 PM IST, Published Date : March 11, 2020/2:21 am IST

भोपाल । सिंधिया समर्थकों ने पुरजोर आवाज भी उठाई, लेकिन पार्टी ने PCC अध्यक्ष को लेकर कोई फैसला नहीं लिया। इस दौरान कई मौकों पर सिंधिया की नाराजगी सामने आती रही। देखिए सिंधिया ने कब और किस तरह अपनी नाराजगी जाहिर की।

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साल 2018 में एमपी में जब BJP को पटखनी देकर कांग्रेस ने सत्ता का सूखा खत्म किया तो आलाकमान ने कमलनाथ को कमान सौंपी। राहुल के साथ एमपी की सियासत के दो बड़े नेता थे। राजीव गांधी के करीबी रहे कमलनाथ को सत्ता का सिंहासन मिला, तो महल से सियासत के गलियारे में आए सिंधिया को शायद ढांढस ही मिला। राहुल गांधी ने तब एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखा था कि ”सब्र और समय सबसे ताकतवर योद्धा हैं”।

<blockquote
class="twitter-tweet"><p lang="en" dir="ltr">The two most
powerful warriors are patience and time.<br><br>- Leo
Tolstoy <a
href="https://t.co/MiRq2IlrIg">pic.twitter.com/MiRq2IlrIg</a></p>&mdash;
Rahul Gandhi (@RahulGandhi) <a
href="https://twitter.com/RahulGandhi/status/1073222791330258944?ref_src=twsrc%5Etfw">December
13, 2018</a></blockquote>
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charset="utf-8"></script>

 समय और हालात के साथ सिंधिया का सब्र जवाब दे गया। दरअसल विधानसभा चुनाव जीतने के बाद सिंधिया समर्थक उन्हें सीएम बनता देखना चाहते थे, लेकिन कमलनाथ की ताजपोशी हुई। उस पर सभी ने एकमत जाहिर किया। मुस्कुराते चेहरों के साथ सरकार का गठन हुआ,लेकिन शायद सिंधिया और उनके समर्थकों में एक टीस कहीं ना कहीं अंदर बनी रही होगी। ये टीस कई बार नए नारों के साथ सामने आई।

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जब PCC अध्यक्ष पद को लेकर सिंधिया समर्थक उनके नाम को आगे बढ़ाते रहे। संगठन से लगातार ये मांग करते रहे कि सिंधिया को PCC की कमान दी जाए। हालांकि इस पद को लेकर कोई फैसला नहीं लिया गया। सीएम कमलनाथ ही PCC के अध्यक्ष बने रहे। इस दौरान कई मौकों पर सिंधिया की नाराजगी भी सामने आती रही। संकेत तब भी मिला जब उन्होंने अपने ट्विटर एकाउंट में खुद को कांग्रेस के सभी पदों से अलग कर जनसेवक लिख दिया था। इसी दौरान उन्होंने खुद को कुर्सी की रेस से अलग भी बताया। कभी किसानों की कर्जमाफी को लेकर वो अपनी ही सरकार से सवाल करते नज़र आए.. तो कभी अलग-अलग वर्गों के प्रदर्शनों में सड़क पर उतरकर लड़ाई लड़ने की बात कही। सिंधिया के सड़क पर उतरकर लड़ाई लड़ने के बयान पर कमलनाथ का रुख भी कुछ उनके खिलाफ ही लगा। देश के दिल मध्य प्रदेश में सियासत की जोर आजमाइश का जो दौर बीते कुछ दिनों से चल रहा है। उसका अंजाम इस रूप में सामने आया।