ग्वालियर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में नगरीय विकास विभाग के प्रमुख सचिव ने महापौर की नियुक्ति के संबंध में अपना शपथ पत्र पेश कर दिया है। उनकी ओर से तर्क दिया गया कि नगर पालिका एक्ट की धारा 21 प्रवाधन के अनुसार महापौर की नियुक्ति करना अनिवार्य नहीं है। नए चुनाव में भी 6 महीने का भी समय नहीं बचा है। ऐसी स्थिति में महापौर नियुक्ति करने की जरूरत नहीं है। इस मामले की सुनवाई 21 अक्टूबर को होगी।
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दरअसल एसके शर्मा ने हाईकोर्ट में महापौर की नियुक्ति को लेकर याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि विवेक नारायण शेजवलकर सांसद निर्वाचित हो चुके हैं। उन्होंने महापौर पद से इस्तीफा दे दिया है। काफी लंबे समय से पद खाली पड़ा है। पद खाली पड़े होने से शहर का विकास रुक गया है। 2 करोड़ से ऊपर के काम स्वीकृत नहीं हो पा रहे हैं। शहर की सड़कें खुदी पड़ी हैं। इससे लोग परेशान है। जनहित के काम भी नहीं हो पा रहे हैं, लेकिन सरकार महापौर की नियुक्ति को लेकर गंभीरता नहीं दिख रही है। स्थिति स्पष्ट करने के लिए कई मौके दिए जा चुके हैं, लेकिन कोई जवाब नहीं आ रहा है।
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पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने आदेश दिया था कि प्रमुख सचिव अपना शपथ पत्र पेश करें या फिर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहें। प्रमुख सचिव की ओर से शपथ पत्र पेश हो गया। महापौर की नियुक्ति अनिवार्य नहीं बताई है। अगर चुनाव को 6 महीने से ज्यादा का समय होता तो नियुक्ति पर विचार किया जा सकता था, लेकिन अब चुनाव को 6 महीने नहीं बचे हैं, इसलिए नियुक्ति की जरूरत नहीं।
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